रामगढ़: बेटियों ने मां को कंधा देकर बेटे का फर्ज पूरा किया. बेटियों ने श्मशान घाट तक जाकर पिता के रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया. बेटियों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. मां की मृत देह को सजा धजाकर अंतिम यात्रा के लिए तैयार किया. मां को कंधे पर उठा कंधा दिया और मुखाग्नि दी. यह वाक्या रजरप्पा थाना अंतर्गत छोटकीपोना गांव का है.
मिसाल: बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, मां की अर्थी को दिया कंधा - रामगढ़ में बेटियों ने किया मां का अंतिम संस्कार की खबर
आज की बेटियां बेटों से कहीं कम नहीं हैं. इस बात को रजरप्पा थाना क्षेत्र के छोटकीपोना की चार बेटियों ने चरितार्थ किया है. जिन्होंने पुत्र की भांति अपनी मृत माता की अर्थी को कंधा देकर शमशान घाट तक पहुंचाया और अंतिम संस्कार कर पुत्र होने का दायित्व भी निभाया. वहां मौजूद सभी की आखें नम थी.
जानकारी के अनुसार रजरप्पा थाना क्षेत्र के छोटकीपोना निवासी सह समाजसेवी कौलेश्वर महतो की पत्नी ललिता देवी लंबी बीमारी से पीड़ित होने के कारण मौत हो गई. ललिता देवी को कोई भी पुत्र नहीं था. उनकी चार बेटियां ही थीं. इसमें बड़ी बेटी पूजा कुमारी (24), रानी कुमारी (22), अनुभा कुमारी (18) व चंदा कुमारी (14) है. जब चारों बेटियों ने अपनी मां की अर्थी को कंधा लेकर निकली तो देखने वालों की भीड़ लग गई थी. यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी व्यक्ति की आंखे नम थी. जिस मां के कंधों पर खेल कर चार बेटियां बड़ी हुई थी. आज उसी मां की अर्थी को चारों बेटियों ने कंधा भी दिया और अंतिम संस्कार करके पुत्र होने का दायित्व भी निभाया.
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बेटियों ने कहा कि वह किसी ऐसे शास्त्र को नहीं मानती, जो बेटे और बेटी में फर्क करता है. उनकी मां ने कभी फर्क नहीं किया. उनका सौभाग्य है कि उन्हें अपनी मां का अंतिम संस्कार करने का मौका मिला. भगवान ने भले ही उनको बेटा नहीं दिया लेकिन बेटों के समान एक नहीं बल्कि चार बेटियां दी. चारों बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा दिया और सारी रस्मे भी पूरी की.