रामगढ़: पिछले कुछ महीनों से झारखंड की राजनीति के केंद्र में रामगढ़ है. यहां उपचुनाव हो रहा था. कांग्रेस की पूर्व विधायक ममता देवी को कोर्ट से सजा मिलने के बाद से यह सीट खाली थी. यहां पर 27 फरवरी को वोट डाले गए और 2 मार्च को चुनाव परिणाम आया. चुनाव परिणाम विपक्षी दल के पक्ष में गया, जबकि सत्ता पक्ष को मायूसी हाथ लगी. रामगढ़ उपचुनाव जीतकर आजसू ने कांग्रेस से आठ साल पहली मिली हार का बदला ले लिया.
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क्या हुआ था 2015 में: 8 साल पहले यानी की साल 2015 में झारखंड के लोहरदगा में भी उपचुनाव हुए थे. इसमें आजसू की प्रत्याशी नीरू शांति भगत और कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव भगत के बीच सीधा मुकाबला था. 2015 में झारखंड में एनडीए की सरकार थी और सरकार के मुखिया रघुवर दास थे. इस उपचुनाव में आजसू को कांग्रेस के प्रत्याशी ने हरा दिया था. जीत का मर्जिन 23 हजार वोटों का था.
2015 में क्यों हुआ था लोहरदगा उपचुनाव: 2015 में रांची की एक कोर्ट ने आजसू के विधायक कमल किशोर भगत को एक मामले में सात साल की सजा सुनाई थी. मामला 1993 का था, जिसमें कमल किशोर भगत पर डॉक्टर केके सिन्हा के क्लिनिक में घूसकर मारपीट और फायरिंग करने का आरोप था. कोर्ट से सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता चली गई. जिसके बाद यहां पर उपचुनाव हुआ.
रामगढ़ और लोहरदगा में क्या है समानता:2015 में जब आजसू के कमल किशोर भगत को सजा मिली थी तब झारखंड में एनडीए की सरकार थी और आजसू सरकार का सहयोगी दल था. 2022 में रामगढ़ की विधायक ममता देवी को जब सजा मिली, तब कांग्रेस झारखंड के महागठबंधन की सरकार में पार्टनर है. लोहरदगा में 2015 में हुए उपचुनाव में तत्कालीन विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी मैदान में थी और इसबार रामगढ़ में निवर्तमान विधायक ममता देवी के पति बजरंग महतो चुनाव लड़ रहे थे.
8 साल बाद ले लिया बदला: आजसू ने आठ साल बाद कांग्रेस से लोहरदगा में मिली हार का बदला ले लिया है. आजसू ने रामगढ़ में मिले मौके का भरपूर फायदा उठाया. और कांग्रेस को 21 हजार से अधिक वोटों से मात देकर ना सिर्फ रामगढ़ सीट पर फिर से कब्जा किया बल्कि कांग्रेस से बदला भी ले लिया.