रामगढ़: जिले में 25 गांव के ग्रामीणों ने पीवीयूएनएल और पुलिस के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. इस दौरान कोविड-19 के गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पीवीयूएनएल और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी कर रहे है. ग्रामीण नौकरी, पुर्नवास और मुआवजे के मांग को लेकर पीवीयूएनएल के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. कुछ लोग अपने-अपने गांवों और घरों में भी भूख हड़ताल पर हैं.
पीवीयूएनएल के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर विस्थापितों ने 2 सितंबर से ही पीवीयूएनएल गेट के पास अनिश्चितकालीन धरना दे रहे थे, जिसके बाद टीवीयूएनएन ओनर ने उन्हें बताया कि जिनकी भी जमीनी गई हैं उन्हें पीटीपीएस से मुआवजा और नौकरी दे दी गई है, जिन लोगों को नौकरी या मुआवजा नहीं मिला था, उन्हें एनटीपीसी की ओर से सही कागजात दिखाने पर नौकरी दे दी गई है, लेकिन 6 सूत्री मांगों को लेकर विस्थापितों के नेता और पीवीयूएनएल के बीच बातचीत नहीं बनी, जिसके बाद रामगढ़ अनुमंडल पदाधिकारी ने कोविड-19 को देखते हुए पूरे क्षेत्र में 144 लागू कर दिया गया था, बावजूद इसके वे लोग धरनास्थल से हटने को तैयार नहीं थे, वार्ता के बाद 3 सितम्बर की रात को धरना खत्म करवाने के लिए पुलिस ने ग्रामीणों के धरना को बल पूर्वक हटाया था. इस मामले में वहां तैनात मजिस्ट्रेट ने कोरोना काल में अत्यधिक भीड़ इकट्ठा करने और सोशल डिस्टेंस मेंटेन ना करने, साथ ही सरकारी काम में बाधा डालने को लेकर 6 ग्रामीणों को नामजद करते हुए 200 अज्ञात ग्रामीणों पर पतरातू थाना में मामला दर्ज किया है.