पलामू:कई दशक के नक्सली इतिहास में 2023 झारखंड पुलिस के लिए सबसे बड़ी सफलता का वर्ष रहा है. नक्सलियों का यूनिफाइड कमांड सह ट्रेनिंग सेंटर पर सुरक्षा बल और पुलिस ने बिना गोली चलाए कब्जा जमा लिया. यह सफलता नक्सलियों के खिलाफ अभियान में अब तक के बड़ी सफलता मानी जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय मिशन बूढ़ा पहाड़ को नक्सल विरोधी अभियान के लिए एक रोल मॉडल भी मान रही है. झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ापहाड़ माओवादियों का ट्रेनिंग कैंप हुआ करता था. यहीं से माओवादी झारखंड बिहार और छत्तीसगढ़ के कई कैडरों को ट्रेनिंग देते थे.
बूढ़ापहाड़ माओवादियों का केंद्र: पिछले तीन दशक से माओवादी बूढ़ापहाड़ को अपना सबसे बड़ा केंद्र बनाए हुए थे. यह इलाका करीब 52 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और पहाड़ियों की कई श्रृंखला यहां मौजूद है. इस इलाके में सितंबर 2022 में माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑक्टोपस शुरू किया गया था. जनवरी 2023 में सुरक्षाबलों ने आधिकारिक तौर पर बूढ़ापहाड़ पर अपने कब्जे की घोषणा कर दी.
2023 में मिली बड़ी कामयाबी: नक्सली इतिहास में जनवरी 2023 बड़ी सफलता की गवाह मानी गई. ऑपरेशन ऑक्टोपस के दौरान पहली बार माओवादियों के खिलाफ पुलिस को एक भी गोली खर्च नहीं करनी पड़ी और उनका कब्जा हो गया. जहां-जहां माओवादियों के कैंप थं वहां सुरक्षाबलों ने अपने कैंप स्थापित किए. आज बूढ़ापहाड़ और उसके अगल-बगल में आधा दर्जन के करीब कैंप स्थापित किए गए हैं. ऑपरेशन ऑक्टोपस के दौरान सुरक्षाबलों ने यहां से पांच हजार से अधिक आईईडी (लैंड माइंस), दर्जनों आधुनिक हथियार और भारी मात्रा में विस्फोटक को बरामद किए थे.
तीन दशक में मिशन बूढापहाड़ में 56 से अधिक जवान हुए शहीद, 133 ग्रामीणों की भी मौत:पिछले तीन दशक से बूढ़ा पहाड़ के इलाके को माओवादियों से मुक्त करवाने के लिए अभियान चलाया जा रहा था. अभियान के क्रम में पुलिस और सुरक्षाबलों के 56 जवान शहीद हुए, जबकि तीन दशक में 133 ग्रामीणों को भी माओवादियों ने मार डाला. हर बार माओवादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया, लेकिन सुरक्षाबलों को बैकफुट पर आना पड़ता था. 2023 में पहली बार बूढ़ापहाड़ पर सुरक्षाबलों को सफलता मिली और कब्ज हो गया.
दरसल 2012-13 में माओवादियों ने बूढ़ापहाड़ को यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटर के रूप में डेवलप किया. बूढ़ापहाड़ और उसके अगल-बगल एक दर्जन गांवों में माओवादियों का अपना साम्राज्य चलता था. इलाके के ग्रामीणों को माओवादियों ने अपने दस्ते में भी शामिल किया था.
आईजी राजकुमार लकड़ा ने क्या कहा: पलामू के जोनल आईजी राजकुमार लकड़ा बताते हैं कि ऑपरेशन ऑक्टोपस पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए बड़ी सफलता है. अभियान के दौरान पुलिस को एक भी गोली नहीं चलानी पड़ी. मिशन बूढ़ापहाड़ के बाद इलाके में डेवलपमेंट के भी कार्य शुरू किए गए हैं, इलाके की तस्वीर बदल रही है. आईजी ने बताया कि लोग के मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं और सुरक्षाबल एवं पुलिस स्थानीय ग्रामीणों की मदद भी कर रहे हैं.