पलामूः कोविड 19 का वह दौर याद होगा जब हजारों की संख्या में मजदूर अपनी जान को बचाने के लिए वापस घर लौट रहे थे. अब एक दूसरी तस्वीर निकल कर सामने आने लगी है, मजदूरों का पलायन एक बार फिर शुरू हो गया है. यह पलायन कोई आम नहीं है बल्कि सुखाड़ की आहट से मजदूरों का पलायन (workers migrating from Palamu) शुरू हुआ है.
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पलामू में औसत से 83 प्रतिशत बारिश कम हुई है, इस वजह से जिला में एक प्रतिशत भी धान रोपनी नहीं हुई है. सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न होने के बाद पलामू से मजदूर राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पलायन करना शुरू कर दिया है. मजदूर सैकड़ों की संख्या में प्रतिदिन ट्रेनों से पलायन कर रहे हैं. पलामू की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है. जिला में सुखाड़ के हालात (drought like conditions in palamu) को लेकर कृषि से जुड़े हुए मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है जिस कारण वो पलायन के लिए मजबूर हो गए हैं.
पलामू के कृषक मजदूर हुए बेरोजगारः पलामू से मौसम आधारित कृषक मजदूरों का पलायन होता है. यह पलायन बिहार और यूपी के इलाके में होता है. पलामू से बड़ी संख्या में कृषक मजदूर धान रोपने के लिए बिहार जाते हैं, लेकिन इस बार झारखंड से सटे बिहार के इलाके में भी बारिश कम हुई है, जिस कारण मजदूरों के समक्ष एक नई संकट उत्पन्न हो गई है. धान रोपनी के लिए जाने वाले मजदूरों को काम नहीं मिल रहा. मजदूर संतन ने बताया कि प्रत्येक वर्ष बिहार के इलाके में धान रोपने के लिए जाते थे लेकिन इस बार बारिश नहीं हुई है और वह कमाने के लिए राजस्थान जा रहे हैं. मनरेगा की योजनाएं बढ़ाने का काम शुरूः पलामू में सुखाड़ की आशंका को देखते हुए जिला में मनरेगा के तहत योजनाओं की संख्या बढ़ाने का निर्देश (increase scheme of MGNREGA) दिया गया है. फिलहाल मानसून के दौरान प्रत्येक पंचायत में मनरेगा की पांच पांच योजनाएं संचालित हैं. पलामू डीसी ए दोड्डे ने बताया कि बारिश के हालात को देखते हुए जिला प्रशासन ने कई योजनाओं पर काम करना शुरू किया है. सभी अधिकारियों के मनरेगा की योजना को बढ़ाने को कहा गया है ताकि मजदूरों को काम मिल सके.
हजारों में पलायन का आंकड़ाःपलामू में निबंधित मजदूरों की संख्या मात्र पांच हजार के करीब ही है जबकि पलामू से पलायन करने वाले मजदूरों का आंकड़ा 50 हजार से भी अधिक है. पलामू श्रम विभाग (Palamu Labor Department) के आंकड़ों पर गौर करें तो कोविड19 काल के बाद ही मजदूरों ने निबंधन का काम शुरू किया है. इससे पहले मात्र दो सौ के करीब मजदूर ही निबंधित थे, निबंधित मजदूरों को कई तरह से सहायता दी जाती है. राज्य से बाहर फैक्ट्री या संस्थान में काम करने का दौरान हादसा होने पर मजदूरों के लिए मुआवजा का प्रावधान है. मौत होने की स्थिति में करीब दो लाख की सहायता दी जाती है. पलामू में अब तक चार मजदूरों को श्रम विभाग की तरफ से सहायता दिया जा चुका है.