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पलामू: माइंस को लेकर विवाद, नहीं देंगे अपनी जमीनः ग्रामीण - पलामू में ग्रामीणों ने पत्थर माइंस का विरोध किया

पलामू: जिले के छतरपुर के चिल्हो खुर्द गांव में माइंस को लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया है. चिल्हो खुर्द गांव के आदिवासियों के साथ जमीन को लेकर माइंस संचालक के साथ विवाद तीन साल से चल रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि किसी कीमत में अपनी जमीन नहीं देंगे.

Villagers protest against operator of stone mining mines in palamu
ग्रामीणों ने किया विरोध

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Published : Jul 24, 2020, 7:19 PM IST

पलामू: जिले के छतरपुर में पत्थर खनन माइंस के संचालक और आम लोगों के बीच अक्सर वाद विवाद होते रहता है. प्रखंड क्षेत्र के घने जंगलों में चिल्हो खुर्द गांव के आदिवासियों के साथ जमीन को लेकर माइंस संचालक के साथ विवाद तीन साल से चल रहा है. प्रशासन ने लीज क्षेत्र का सीमांकन करने की तिथि 20 जुलाई निर्धारित की और ग्रामीणों को नोटिस भेज दिया. जिसके बाद ग्रामीण उग्र हो गए.

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ग्रामीणों ने जमीन पर पेश किया दावा

ग्रामीणों का कहना है कि किसी कीमत में अपनी जमीन नहीं देंगे. उनका आरोप है कि तत्कालीन सीओ ने 1908 के खतियान और नक्शा के आधार पर बैठे-बैठे रिपोर्ट तैयार किया था. लीज स्वीकृति के बाद साल 2018 में ग्रामीणों ने लीज धारक को जमीन पर खनन करने से रोक दिया था. ग्रामीणों का आरोप था कि प्लॉट के अंदर उनके पारंपरिक देवता का गम्हेल स्थान है, बगल में देवी मंदिर है. ग्रामीणों के विरोध के बाद अब तक लीज क्षेत्र में खनन कार्य शुरू नहीं हो सका है.

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मामले में की जाएगी कार्रवाई
छतरपुर के सीओ राकेश कुमार तिवारी ने इस मामले पर कहा कि उस स्थल पर ग्रामीणों का विरोध है, तो ऐसे में अधिकारी क्या करेंगे? हमलोग फिर से स्थल जांच कर ही आगे की करवाई करेंगे. वहीं मामले की जानकारी मिलने के बाद छतरपुर-पाटन विधानसभा से राजद के पूर्व प्रत्याशी विजय कुमार चिल्हो खुर्द गांव पहुंचे और ग्रामीणों से पूरे मामले की जानकारी ली. उन्होंने कहा कि माइंस को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है, इस मामले में प्रखंड के अधिकारियों से बात की गई है, यदि सभी नॉर्म्स की प्रक्रिया के तहत आवश्यक कार्य हो तभी माइंस चला सकते हैं. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया है कि आपकी बात सरकार तक पहुंचाने का काम किया जाएगा. जिस जमीन आपको बता दें खाता नं-23, प्लॉट नंबर-562 के गैर-मजरूआ प्लॉट पर साल 2017 में स्वीकृत हुआ था. तीन साल बीत जाने के बाद खनन लीज का मामला विवाद के कारण सुर्खियों में है, माइंस के दो लीज धारक हैं.

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