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झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ सीमा पर सक्रिय हैं माओवादियों के दो दस्ते, जानिए सुरक्षाबलों के टारगेट पर हैं कौन-कौन

झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ सीमा पर माओवादियों के दो दस्ते सक्रिया हैं. छोटू खरवार और नितेश यादव के दस्ते सुरक्षाबलों के निशाने पर हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई में झारखंड की पुलिस बिहार और छत्तीसगढ़ की सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित करेगी.

झारखंड बिहार सीमा पर नक्सली
झारखंड बिहार सीमा पर नक्सली

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 18, 2023, 7:30 PM IST

पलामू: झारखंड, बिहार और झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी कमजोर हो गया है. छत्तीसगढ़ सीमा पर माओवादियों का रीजनल कमिटी सदस्य छोटू खरवार जबकि बिहार सीमा पर नितेश यादव के नेतृत्व में दस्ता सक्रिय है. पुलिस एवं सुरक्षाबलों ने दोनों दस्ते को टारगेट किया है. हाल में ही झारखंड में इंटरस्टेट कॉर्डिनेशन कमिटी की बैठक हुई है.

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इस बैठक में माओवादी छोटू खरवार और नितेश यादव के दस्ते के बारे में भी जिक्र हुआ है. दोनों दस्ता के खिलाफ छत्तीसगढ़ और बिहार के साथ समन्वय बनाने को कहा गया. अगले कुछ महीनों में झारखंड छत्तीसगढ़ और बिहार सीमा को नक्सल मुक्त बनाने पर जोर दिया गया है. जिसके बाद दोनों के दस्तों को पुलिस एवं सुरक्षाबलों ने रडार पर लिया है. अगले कुछ दिनों में झारखंड और छत्तीसगढ़ सीमा पर नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जाएगा.

दस्ते में आधा दर्जन के करीब सदस्य:छोटू खरवार और नितेश यादव के दस्ते में आधा आधा दर्जन के करीब सदस्य हैं. छोटू खारवार मूलरूप से लातेहार के बारेसाढ़ इलाके का रहने वाला है. झारखंड की सरकार ने छोटू खरवार पर 15 लख रुपए का इनाम रखा हुआ है और छोटू माओवादियों के कोयल शंख जोन का इंचार्ज है. वह लातेहार, गुमला, लोहरदगा और सिमडेगा के इलाके में सक्रिय है.

नितेश यादव बिहार के गया का रहने वाला है और माओवादियों के मध्यजोन का सबसे बड़ा कमांडर है. दोनों के दस्ते में पांच से छह की संख्या में सदस्य हैं. नितेश यादव पर भी 10 लाख रुपए का इनाम है. छोटू और नितेश यादव के कारण ही बिहार एवं छत्तीसगढ़ सीमापार माओवादी सक्रिय हैं. दोनों दस्तों के सफाया के लिए तीनों राज्य मिलकर सूचनाओं को साझा करेंगे और अभियान चलाएंगे. दोनों के समर्थकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

पलामू के जोनल आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि झारखंड, बिहार और झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर खास नजर है. बचे हुए नक्सल कमांडरों को टारगेट किया गया है और अभियान चलाया जा रहा है. इलाके को नक्सल मुक्त बनाना लक्ष्य है, ताकि इलाके में विकास कार्यो का संचालन शांति से हो.

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