पलामू: नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के मार्गदर्शन में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में एक सर्वे किया गया था. सर्वे के माध्यम से वाइल्ड लाइफ की टीम ने पीटीआर के कोर एरिया में मौजूद आधा दर्जन गांव की आबादी को हटाने को कहा था. पूरे मामले में पिछले कई वर्षों से प्रयास चल रहा है. शुरुआती चरण में कुजरूम और लाटू के ग्रामीणों ने विस्थापित होने के लिए सहमति दी है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि दोनों गांव के रीलोकेशन से बाघों के लिए परिवेश तैयार होगा. केंद्र सरकार की सहमति मिलने के साथ ही दोनों गांव का रीलोकेशन कर दिया जाएगा. बाद में आधा दर्जन के करीब और गांवों के रीलोकेशन की योजना तैयार की गई है.
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1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है पलामू टाइगर रिजर्व: पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. पूरे देश में 70 के दशक में सबसे पहले पीटीआर के इलाके से ही बाघों की गिनती शुरू हुई. किसी जमाने में पीटीआर में तीन दर्जन से अधिक बाघ थे लेकिन अब इनकी संख्या घटकर एक से तीन के बीच हो गई है. पीटीआर के इलाके में डेढ़ सौ से अधिक गांव मौजूद हैं. मानव की गतिविधि के कारण इलाके में जंगली जीव प्रभावित हुए हैं. पूरे देश में बाघों के लिए सबसे बेस्ट है बीटेट पीटीआर का इलाका. जिन दो गांव को भी विस्थापित करने की योजना बनाई गई है वह अति नक्सल प्रभावित इलाके में हैं.
पीटीआर प्रबंधन की तरफ से दोनों गांव के 210 परिवारों को प्रति यूनिट के हिसाब से 15-15 लाख रुपये मुआवजा देने की योजना बनाई गई है. ऐसे परिवार जो 15 लाख रुपय नहीं लेंगे, उन्हें जमीन और घर बना कर दिया जाएगा. 2020-21 में केंद्र की सरकार ने पीटीआर के गांव को विस्थापित करने के लिए करोड़ों रुपए जारी किए थे. उस दौरान ग्रामीण गांव छोड़ने को तैयार नहीं हुए थे.