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पूरी तरह विलुप्त हो गया पलामू टाइगर रिजर्व से बाघ, पहली बार देश में यहीं से शुरू हुई थी गिनती - पलामू टाइगर रिजर्व से बाघ गायब

हर साल 29 जुलाई को ग्लोबल टाइगर डे मनाया जाता है. इस दौरान बाघों को संरक्षित करने को लेकर चर्चा की जाती है, लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व में अब देखने के लिए बाघ नहीं है. फरवरी में बाघिन की मौत के दौरान तीन बाघ के सबूत मिले थे, लेकिन मार्च के बाद एक भी बाघ नही देखें गए. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तो बताया गया था कि यहां 50 बाघ बचे हैं. पूरी तरह विलुप्त हो गया पलामू टाइगर रिजर्व से बाघ, पहली बार देश में इसी जगह से शुरू हुई थी गिनती

पूरी तरह विलुप्त हो गया पलामू टाइगर रिजर्व से बाघ
Tiger extincted from Palamu Tiger Reserve

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Published : Jul 29, 2020, 6:47 AM IST

पलामू: जिस इलाके से पहली बार देश में बाघों की गिनती शुरू हुई थी. आज उस इलाके में गिनती के लिए बाघ ही नहीं बचे है. हम बात कर रहे हैं एशिया के बड़े टाइगर प्रोजेक्ट में से एक पलामू टाइगर रिजर्व की. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मार्च 2020 के बाद बाघ नहीं दिखें हैं.

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टाइगर प्रोजेक्ट की योजना की शुरुआत

हर साल 29 जुलाई को ग्लोबल टाइगर डे मनाया जाता है. इस दौरान बाघों को संरक्षित करने को लेकर चर्चा की जाती है, लेकिन पूरे विश्व मे अब कुछ सौ बाघ ही बचे हैं. अगर बात करें पलामू टाइगर रिजर्व की तो यह गढ़वा, लातेहार और छत्तीसगढ़ सीमा से सटा हुआ है, जो 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जबकि इसका कोर एरिया 226 वर्ग किलोमीटर में फौला है. 1974 में पूरे देश में बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ नौ इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट की योजना शुरू की गई थी. पलामू टाइगर रिजर्व उन नौ इलाकों में से एक है, जंहा बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था.

बाघों की संख्या में इस प्रकार हुई कमी

1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाकों में 50 बाघ बताए गए थे, जबकि देश में पहली बार 1932 बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तो बताया गया था कि अब यहां 50 बाघ बचे हैं. 2005 में जब बाघों की गिनती हुई तो बाघों की संख्या घट कर 38 हो गई. 2007 में जब फिर से गिनती हुई तो बताया गया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ है. 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई तो बताया गया कि सिर्फ आठ बाघ बचे हुए हैं. उसके बाद से कोई भी नया बाघ रिजर्व एरिया में नहीं मिला.

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फरवरी में मृत मिली थी एक बाघिन

पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में फरवरी महीने में एक बाघिन की मौत हुई थी. बाघिन बुजुर्ग थी. पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर डॉ वाईके दास बताते हैं कि फरवरी में बाघिन की मौत के दौरान तीन बाघ के सबूत मिले थे, लेकिन मार्च के बाद पीटीआर के बाघ नही देखें गए. उन्होंने यह भी बताया कि यहां या तो बाघ सचमुच नहीं है या उनके कर्मी बेहतर काम नहीं कर रहे हैं. इसलिए बाघों के देखने पर ईनाम घोषित किया गया है. पीटीआर के ट्रैकर यासीम बताते हैं कि फरवरी के बाद उन्होंने बाघ को नहीं देखा है. अंतिम बार वे बाघ का पीछा करते हुए छिपादोहर तक गए थे, लेकिन उसके बाद बाघ कहां गया, उन्हें पता नहीं चला.

टाइगर रिजर्व के बीच से गुजरती है हाइवे और रेलवे लाइन

वहीं, पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि सालों पहले गांव में बाघ आते थे. उनके मवेशियों के शिकार होने पर उन्हें पता चल जाता था कि बाघ आया हुआ है. ग्रामीण यह भी बताते हैं कि वे निडर होकर मवेशी को जंगल में लेकर जाते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के पूरे इलाके में 250 से अधिक गांव है. टाइगर प्रोजेक्ट के कोर एरिया में नौ गांव है, जबकि बफर एरिया में 136 गांव है. टाइगर रिजर्व के बीच से हाइवे और रेलवे लाइन गुजरती है.

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मवेशियों का हस्तक्षेप जंगली जीव को पहुंचा रहे नुकशान

डायरेक्टर वाईके दास का कहना है कि पीटीआर में आबादी और मवेशियों का हस्तक्षेप जंगली जीव को नुकशान पंहुचा रहा है. लोग मवेशी को लेकर जंगलों में जा रहे हैं जिससे हिरण और चीतल जैसे जानवर प्रभावित हो रहे हैं, जबकि बाघ का पसंदीदा भोजन हिरण है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस कैंप है, जबकि पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है. कई बार नक्सली और सुरक्षाबल आमने-सामने होते है और बड़े हथियारों का इस्तेमाल होता है. नक्सलियों के बम से कई जीव भी शिकार हुए हैं. माओवादियों का सुरक्षित मांद बूढ़ा पहाड़ पीटीआर से लगा हुआ है.

कोर एरिया से कई गांवों को खाली करवाने का प्रस्ताव पारित

पलामू टाइगर रिजर्व के कोर में मौजूद कुजरूम लाटू जैसे आधा दर्जन गांव को खाली करवाने का प्रस्ताव पारित हुआ है. हेमंत कैबिनेट ने मामले में मुहर भी लगा दी है. डायरेक्टर वाईके दास बताते है कि मामले में फंड मिलने के साथ ही पहल शुरू की जाएगी. विस्थापन के लिए पलामू का पोखराहा और लातेहार का सरयू का इलाका चिन्हित किया गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाकों में बेतला नेशनल पार्क है, जहां पर्यटक घूमने आते हैं. टाइगर रिजर्व कोयल के इलाके में कोयल और औरंगा नदी है. मंडल डैम भी इसी इलाके में है.

इन इलाकों में 970 पौधों की है प्रजातियां

बता दें कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाकों में पौधों की 970 प्रजातियां, 131 प्रकार के जड़ी बूटी, 47 स्तनधारी जातियां, 174 प्रकार के पक्षी, स्तनधारी में बाघ, हाथी, तेंदुआ, सांभर, हिरण और लंगूर सहित कई अन्य जीव पाएं जाते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में शुष्क मिश्रित वन है. तीन प्रकार के वन शुष्क साल, नम साल और पठारी इलाकों का साल.

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