पलामू: कोरोना संकट के दो महीने हो गए हैं. इसे लेकर लॉकडाउन जारी है. जिसमें कम ही लोग अपने घरों से बाहर निकले. इस दौरान लोगों की मानसिक स्थिति में बड़ा बदलाव हुआ है. कई लोग मानसिक रुप से बीमार भी हो गए हैं. कोरोना फोबिया का शिकार होने के कारण कई लोगों ने आत्महत्या कर ली है.
पलामू पुलिस के लिए नक्सल और अपराध पहले से ही एक बड़ी चुनौती रही है. अब इस चुनौती में घरेलू हिंसा भी शामिल हो गई है. कोरोना फोबिया के कारण पलामू में अब तक आधा दर्जन लोगों ने आत्महत्या कर ली है. जबकि थानों में घरेलू हिंसा की शिकायत लेकर पंहुचने वालों की संख्या बढ़ गई है. मानसिक अस्प्ताल में भी प्रतिदिन दो से तीन मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
लॉकडाउन में सामाजिक दूरी से लोगों में मानसिक बदलाव
दो महीने के लॉकडाउन में लोगों के सामाजिक डर ने मानसिक स्थिति में बड़ा बदलाव लाया है. इस दौरान लोगों में नौकरी खोने का डर, व्यापार में घाटा और सामाजिक उपेक्षा के कारण मानसिक स्थिति में बदलाव आ गया है. पलामू मानसिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ सुनील कुमार का कहना है कि लोग कोरोना फोबिया का शिकार हो रहे है, कहीं न कहीं उनके मन मे डर बैठ गया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में दायरा सीमित हो गया है, जिस कारण लोगों में आपसी मनमुटाव बढ़ा है. इन सब के बीच लोगों को नौकरी खोने का डर, ईएमआई का डर सता रहा है. उन्होंने कहा कि दो महीने में बहुत कम लोग मानसिक अस्प्ताल पंहुचे हैं, लेकिन लॉकडाउन खुलते ही यह संख्या बढ़ सकती है. लोगों को लॉकडाउन में अस्पताल पहुंचने मे परेशानी हो रही है, जिसके कारण मरीज नहीं आ प रहे हैं.