पलामूः दादी की मजबूरी है कि उसने दो मासूमों को बेड़ियों में कैद करके रखा है. दोनों मानसिक रूप से कमजोर है, इतना ही नहीं इस गांव में और कई लोग भी मानसिक रूप से बीमार हैं. जो बचपन खेलकूद में गुजरता है, वो बच्चे बेड़ियों में अपना बचपन गुजार रहे हैं. जिन पोतों के लिए एक दादी ने सपने देखे थे, उन पोतों को जंजीरों से बांधकर रखना पड़ रहा है. दो मासूम बच्चे जिन्हें उनकी दादी ने करीब तीन वर्षों से बेड़ियों में जकड़कर रखा है. दादी की मजबूरी है कि दोनों मासूम की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है.
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यह मामला पलामू प्रमंडल के मुख्यालय मेदिनीनगर से महज सात किलोमीटर की दूरी पर मौजूद सुआ के बिंदुआ टोला गांव की है. फूलकुमारी देवी नाम की महिला ने अपने दो पोतों आशीष परहिया और मुकेश परहिया को जंजीरों में कैद रखा है. दोनों का खाना, पीना, रहना और नित्य क्रिया भी लोहे की चेन से बंधे रहते ही होता है. दादी बताती हैं कि दोनों बच्चों की मां की मौत दो वर्ष पहले सड़क दुर्घटना में हुई थी. इनके पिता भी मानसिक रूप से कमजोर है और मजदूरी का काम करता है.
दादी ने बताया कि दोनों भाइयों की एक बहन की भी मानसिक बीमारी से मौत हो चुकी है. दोनों भाइयों को करीब तीन वर्ष पहले से मिरगी बीमारी हुई थी, उसके बाद से दोनों मानसिक रूप से कमजोर होते चले गए. आज आलम ऐसा है कि दोनों मासूम बच्चे कंकड़, पत्थर, कपड़े तक खा जाते हैं. दादी ने बताया कि मजबूरी में दोनों बच्चे जंजीरों में जकड़े हैं. क्योंकि बेड़ियों से आजाद होने के बाद बच्चे भागने लगते हैं.