पलामू: नक्सलियों और अपराधियों को सजा दिलवाने के लिए एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम बनाई गई है. इस विंग को स्पेशल इंवेस्टिगेशन पुलिस यूनिट नाम दिया गया है. स्पेशल इंवेस्टिगेशन पुलिस यूनिट (सीपू) नक्सलियों और अपराधियों के खिलाफ दर्ज मामले की जांच करेगी और सजा दिलाने का प्रयास करेगी. स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन पलामू प्रमंडल के सभी थानों में किया गया है और इसमें स्पेशल पुलिस अधिकारियों की तैनाती की गई है.
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थाना के अलावा जिला स्तर पर भी यूनिट का गठन किया गया है, यूनिट का इंचार्ज मुख्यालय डीएसपी को बनाया गया है. मुख्यालय स्तर पर इंवेस्टिगेशन टीम को इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी हेड कर रहे हैं, जबकि टीम में एक दर्जन के करीब सब इंस्पेक्टर को शामिल किया गया है. आईजी और एसपी इंवेस्टिगेशन यूनिट की मॉनिटरिंग करेंगे. पलामू रेंज के आईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि स्पेशल यूनिट का गठन किया गया है, जो वैज्ञानिक तरीके से पूरे मामले की जांच करेगी और आरोपियों को सजा दिलाने का प्रयास करेगी. एसपी रैंक के अधिकारी जिले में इस यूनिट की मॉनिटरिंग करेंगे.
पलामू रेंज में 150 से अधिक मुकदमों की जांच करेगी यूनिट: पलामू, गढ़वा और लातेहार में स्पेशल इंवेस्टिगेशन पुलिस यूनिट 150 से अधिक मुकदमों की जांच करेगी. नक्सल, अपराधी और आर्थिक मामलों से जुड़े हुए मुकदमे इंवेस्टिगेशन टीम को दिए जा रहे हैं. इंवेस्टिगेशन टीम छह महीने से भी कम समय में मुकदमे की जांच कर आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा करेगी.
टॉप नक्सलियों और अपराधियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे का पुलिस ने एक डाटा तैयार किया है. तीन दर्जन से अधिक टॉप नक्सलियो के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच के लिए दो से अधिक मुकदमों का चयन किया गया है. पलामू पुलिस ने आर्थिक और समान अपराध से जुड़े हुए मामले यूनिट को दिया है, जबकि लातेहार ने नक्सल मामलों को दिया है. स्पेशल इंवेस्टिगेशन पुलिस यूनिट मुकदमे में दर्ज हुए गवाहों के बयान भी कोर्ट में सुनिश्चित करेगी.
पांच वर्षों में एक भी नक्सली को नहीं सुनाई गयी सजा: पलामू प्रमंडल में पिछले पांच वर्षो के दौरान 700 से भी अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है. इन पांच वर्षों में एक भी नक्सली को कोर्ट के द्वारा सजा नहीं सुनाई गई है, जबकि हत्या, आर्म्स एक्ट, दुष्कर्म के मामले में 170 से भी अधिक मामलों में पुलिस ने सजा दिलवाने में सफलता पाई है. हालांकि हत्या और दुष्कर्म के आंकड़े सजा की तुलना में काफी अधिक हैं. सजा नहीं होने के इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखकर स्पेशल इंवेस्टिगेशन पुलिस यूनिट का गठन किया गया है.