पलामू:पलामू के पांकी इलाके से धारा 144 हटा दी गई है. 17 दिनों से पांकी के इलाके में धारा 144 लागू थी. सदर एसडीएम राजेश कुमार शाह ने लेस्लीगंज एसडीपीओ आलोक कुमार टूटी और पांकी सीओ की रिपोर्ट के आधार पर धारा 144 को हटाने का निर्देश जारी किया है. मामले को लेकर स्थानीय विधायक डॉ शशिभूषण मेहता ने विधानसभा में आवाज उठाई थी और धारा 144 हटाने की मांग की थी.
Palamu Violence Update: पांकी हिंसा के 17 दिनों बाद हटायी गई धारा 144, एसडीएम ने जारी किया निर्देश
पांकी हिंसा के 17 दिनों के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों की मांग और एसडीपीओ और सीओ की रिपोर्ट के आधार पर पांकी में लागू धारा 144 को निष्क्रिय कर दिया गया है. होली पर्व को देखते हुए प्रशासन ने यह निर्णय लिया है. हालांकि एहतियातन अभी भी पुलिस फोर्स की तैनाती रहेगी.
विधायक डॉ शशिभूषण मेहता ने विधानसभा में उठाया था मामलाः धारा 144 हटाने की मांग को लेकर विधानसभा के समक्ष विधायक डॉ शशिभूषण मेहता धरना पर भी बैठे थे. विधायक ने लगातार दो दिनों तक विधानसभा में आवाज उठाई थी और कहा था कि इलाके में हालात सामान्य हैं. होली को देखते हुए धारा 144 हटायी जाए. वहीं धारा 144 को लेकर लेस्लीगंज एसडीपीओ और पांकी सीओ ने एक रिपोर्ट सीओ को सौंपी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दो मार्च को पांकी में शांति समिति की बैठक हुई थी. शांति समिति की बैठक में दोनों पक्षों ने आपसी सहमति और आपसी भाईचारा को जाहिर किया है. दोनों पक्षों ने मिल जुलकर पर्व-त्योहार मनाने का निर्णय लिया है.
15 फरवरी को महाशिवरात्रि के तोरणद्वार को लेकर हुई थी हिंसाः दरअसल, 15 फरवरी को पलामू के पांकी थाना क्षेत्र में महाशिवरात्रि के तोरण द्वार लगाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया था. विवाद के बाद जमकर हिंसा हुई थी. हिंसा को देखते हुए पूरे इलाके में धारा 144 लागू की गई थी. करीब 17 दिनों बाद इलाके से धारा 144 हटायी गई है. शनिवार को इस संबंध में सदर एसडीएम ने एक लिखित निर्देश जारी किया है.
एहतियातन चौक-चौराहों पर पुलिस बलों की रहेगी तैनातीः पांकी में एहतियान फिलहाल पुलिस बल की तैनाती रहेगी. साथ ही सभी चौक-चौराहों पर पुलिस बलों की मौजूदगी रहेगी. हिंसा के बाद चार दिनों तक पलामू में इंटरनेट सेवा ठप रही थी. हालात सामान्य होने के बाद इलाके में इंटरनेट सेवा चालू की गई थी. पांकी के इलाके में हिंसा के बाद लगातार हालात सामान्य हो रहे हैं. हिंसा के मामले में पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की थी, जबकि 18 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा है. पूरे मामले में 159 नामजद, जबकि 2900 अज्ञात उपद्रवियों को आरोपी बनाया गया था.