पलामू:आज उन वीर योद्धाओं की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने गुरिल्ला वार से 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. इस क्रांति के दो महानायक थे नीलाम्बर और पीताम्बर. नीलांबर और पीताम्बर दो भाई थे जिन्होंने क्रांति की लौ 1859 तक जलाए रखी थी. दोनों भाई चेमो सान्या गांव के रहने वाले थे. चेमो सान्या आज गढ़वा के भंडरिया में मौजूद है और बूढ़ापहाड़ की तराई में मौजूद हैं. इस इलाके में दशकों तक माओवादियों का साम्राज्य रहा है. इलाके में कई दशकों के बाद इस बार गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी है. नीलाम्बर-पीताम्बर के पैतृक गांव से सटे कई इलाकों में पहली बार गणतंत्र दिवस पर झंडोत्तोलन होना है. झंडोत्तोलन को लेकर सुरक्षा बल और प्रशासन ने बड़ी तैयारी की है. पलामू के जोनल आईजी राज कुमार लकड़ा ने बताया कि नीलाम्बर-पीताम्बर का गांव चेमो सान्या ऐतिहासिक है. इलाके में सुरक्षाबलों की मौजूदगी के बाद सुरक्षा बढ़ी है. आसपास के इलाके में गणतंत्र दिवस को लेकर खास तैयारी है और लोगों में उत्साह भी.
गुरिल्ला वार में पारंगत थे नीलाम्बर पीताम्बर:नीलाम्बर और पीताम्बर गुरिल्ला वार में पारंगत थे. दोनों ने भगवान बिरसा मुंडा से पहले अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. कई इलाकों में 1857 की क्रांति कुछ ही महीनों में कमजोर हो गई थी, लेकिन पलामू का ही एक ऐसा इलाका था जहां 1859 क्रांति की लौ जलती रही. नीलांबर पीताम्बर के पिता चेमो सिंह खरवार ने चेमो और सान्या गांव को बसाया था और वे वहां के जागीरदार थे. पिता की मौत के बाद नीलांबर ने पीताम्बर को पाला था. 1857 के सैन्य विद्रोह के दौरान पीताम्बर रांची में थे, वहां से लौटने जे बाद अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की योजना तैयार की. उस दौरान दोनों भाइयों ने भोक्ता, खरवार, चेरो और आसपास के कुछ जागीरदारों के साथ मिल कर गुरिल्ला लड़ाई शुरू की. दोनों भाइयों के नेतृत्व में सैकड़ो लड़कों ने 27 नवम्बर 1857 को रजहरा स्टेशन पर हमला किया. यहां से अंग्रेज कोयला की ढुलाई करते थे.