पलामू:झारखंड के कुछ इलाके सुखाड़ से जूझ रहे हैं, जहां किसानों को गैर परंपरागत खेती की करने की सलाह दी जा रही है. यही कारण है कि कई किसान परंपरागत खेती को छोड़कर गैर परंपरागत खेती कर रहे हैं. किसान स्ट्रॉबेरी, पपीता, अमरूद और आम की खेती करना शुरू कर चुके हैं. पलामू के एक बड़े इलाके में आम की खेती की जाती है. इस बार उम्मीद की जा रही है कि इस बार अच्छी फसल होगी.
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पलामू जिला पूरी तरह से सुखाड़ से जूझ रहा है. इस इलाके में किसानों के लिए आम की खेती एक नई उम्मीद लेकर आई है. एक्सपर्ट की मानें तो इस बार पलामू समेत पूरे झारखंड में आम का रिकॉर्ड उत्पादन होगा. पलामू के बिरसा कृषि अनुसंधान केंद्र के जोनल रीसर्च सेंटर में भी आम की खेती की गई है. इस बार यहां करीब 15 लाख रुपए के आम उत्पादन का लक्ष्य रखा गया. हालांकि आंधी और बारिश ने हल्का नुकसान पहुंचाया है, लेकिन इस बार रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है. कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक प्रमोद कुमार बताते हैं कि इस बार आम के अच्छे मंजर आए और फल भी अच्छे लगे, इसलिए उम्मीद है कि झारखंड में रिकॉर्ड आम का उत्पादन होगा. प्रमोद कुमार बताते हैं कि पिछले एक दशक में इस तरह से फल नहीं लगे थे, सब कुछ अच्छा रहा तो इस बार किसानों को काफी फायदा होने वाला है.
किसानों को सता रही है मौसम की चिंता:पलामू और उसके आसपास के इलाकों में आम के पेड़ पर बड़ी संख्या में फल लगे हैं. किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि बेमौसम बरसात इस फल को नुकसान पहुंचाना न दें. किसान सत्येंद्र कुमार और विनोद बताते हैं कि इस बार अच्छी फसल के उत्पादन की उम्मीद है. हालांकि बेमौसम बरसात के कारण कुछ आम के फसल को नुकसान भी हुआ है. दोनों बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में इस बार आम के पेड़ों पर मंजर काफी अच्छे नजर आए हैं और फल भी अच्छे लगे हैं. वह बताते हैं कि पलामू के मौसम में किसानों और खेती करना बड़ी संकट बनती जा रही है. पिछले कुछ वर्षों से आम की खेती कर रहे हैं, लेकिन इस बार अच्छी पैदावार की उम्मीद है. पलामू में मार्च के दूसरे पखवाड़े में नौ मिलीमीटर तक बारिश हुई है और कई इलाकों में आंधी चली है.
मनरेगा के तहत कई इलाकों में की गई आम की खेती:झारखंड की सरकार गैर परंपरागत खेती को बढ़ावा दे रही है, इसी कड़ी में मनरेगा के तहत कई इलाकों में आम की बागवानी भी की गई है. किसानों को आम की खेती के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है. पलामू जैसे इलाके में 30 टन से भी अधिक आम के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. पूरे इलाके में 120 टन से भी अधिक आम की खपत होती है. हालांकि पलामू के आम को झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्य बिहार और उत्तर प्रदेश में भी भेजा जाता है. पलामू प्रमंडल के नेतरहाट के इलाके में बड़े पैमाने पर आम की खेती होती है. इस इलाके में आम एक बड़ा आय का साधन है. पलामू और उसके आसपास के इलाके में ग्रामीण सबसे अधिक आचार के लिए आम का उत्पादन करते हैं.