पलामू: जहां एक दशक से छाई है वीरानी अब वहां लौटेगी रौनक. कभी कोयला उत्पादन के लिए पूरे एशिया में मशहूर राजहरा कोलियरी में उत्पादन 2009 से बंद है. कोलियरी बंद होने के कारण राजहरा और उसके आस पास के करीब एक दर्जन गांव प्रभावित हुए हैं.
2009 में भर गया था बाढ़ का पानी
राजहरा कोलियरी से उत्पादन शुरू होने की घोषणा के बाद लोगों को सब कुछ अच्छा होने की उम्मीद जगी है. 23 फरवरी से राजहरा कोलियरी से उत्पादन शुरू होने की घोषणा की गई है. राजहरा कोलियरी में 2009 में बाढ़ का पानी भर गया था, उसी वक्त से उत्पादन ठप है.
भुखमरी की जिंदगी
कोलियरी से उत्पादन शुरू होने की पहले भी पहल की गई लेकिन वह अमल में नहीं आ पाई. कई बार पानी निकालने का असफल प्रयास भी किया गया है. राजहरा कोलियरी के बंद होने से 600 से अधिक परिवार प्रभावित हुए थे, जबकि सैकड़ों लोगों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा था. करीब 350 वैगन लोडर आज भी भुखमरी की जिंदगी जी रहे हैं.
500 से अधिक लोग पलायन कर गए हैं
राजहरा कोलियरी की चमक और तबाही देखने वाले लोगों का कहना है कि कोलियरी से उत्पादन शुरू होना सुखद है. लोगों ने बताया कि कोलियरी से उत्पादन शुरू की घोषणा सिर्फ घोषणा न रह जाए. लोगों ने बताया कि कोलियरी बंद होने के बाद करीब 500 से अधिक लोग पलायन कर गए हैं.
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राजहरा कोलियरी में 80 लाख टन कोयला
राजहरा कोलियरी में 80 लाख टन कोयला है, जिमसें से 49.30 लाख टन कोयला के उत्पादन की अनुमति मिली है. राजहरा कोलियरी सीसीएल का ओपन कास्ट माइंस है. कोलियरी नदी के किनारे मौजूद है, जिस कारण बरसात के दिनों में पानी भरने का डर है. कोलियरी से 12 में से नौ महीने उत्पादन होगा. 49.30 लाख टन कोयला का उत्पादन अगले 15 वर्षों में किया जाना है.