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जवानों के लिए चुनौती भरा रहता है बरसात का मौसम, कदम-कदम पर मौत का खतरा

पलामू में मानसून के दौरान जिला पुलिस और सीआरपीएफ जवानों को नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में परेशानी होती है. इसकी वजह है कि पहाड़ी नदियों में बाढ़ की स्थिति जल्दी बन जाती है. इसके बावजूद सतर्कता के साथ अभियान चलाया जाता है.

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Published : Aug 19, 2021, 3:23 PM IST

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नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में जवानों को होती है मुश्किल

पलामूः नक्सलियों पर नकेल कसने को लेकर जिला पुलिस और सीआरपीएफ की ओर से लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जाता है. हालांकि, बारिश के दिनों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने में सीआरपीएफ जवानों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. इसके बावजूद जवान अपने मोर्चे पर डटे रहते हैं.

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दरअसल, बारिश के दौरान नदियों में पानी भर जाता है और इलाके में बाढ़ की स्थिति बन जाती है. इससे ऑपरेशन के दौरान जवानों के कपड़े गीले हो जाते हैं और विजिवलिटी भी कम हो जाती है. इससे जवानों के ऊपर खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. इसके बावजूद पिछले दिनों झारखंड जनमुक्ति परिषद के खिलाफ कार्रवाई की गई. इस कार्रवाई में नक्सलियों के चार हथियार बरामद हुए और आपसी लड़ाई में मारा गया कुख्यात नक्सली रामसुंदर राम का शव भी बरामद किया गया.

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सतर्क होकर चलाया जाता है अभियान

पलामू के अभियान एसपी बीके मिश्रा ने बताया कि बारिश के दिनों में अभियान संचालित करने में थोड़ी परेशानी होती है. इसके बावजूद नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी है. उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में पहाड़ी इलाके की नदियों में जल्दी उफान आ जाता है. इस दौरान जवानों के कपड़े गीले हो जाते हैं, जिसका असर हथियारों के संचालन पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान सतर्क होकर नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.

बारिश में घट जाती है अभियान की संख्या

बरसात के दिनों में पलामू में तैनात सीआरपीए बिहार, लातेहार और गढ़वा के इलाकों में अभियान चलाता है. लेकिन इन दिनों में अभियान की संख्या कम हो जाती है. आमतौर पर हर महीने नक्सलियों के खिलाफ 35 से 40 अभियान चलाए जाते हैं जो घटकर 15 से 20 हो जाती है.

अभियान में शामिल जवानों को दिया जाता है स्पेशल किट
बारिश के दिनों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान के क्रम में जवानों को स्पेशल किट दिया जाता है. इस किट में बारिश से बचाव के साथ-साथ जंगली जीवों और मच्छरों से बचने के उपकरण और दवाइयां होती हैं. बारिश के दिनों में अभियान के दौरान जवानों को मलेरिया का खतरा सबसे अधिक रहता है. इसलिए सभी जवानों को मेडिकल किट के साथ-साथ स्लीपिंग बैग दिए जाते हैं.

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