पलामू: पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है. झारखंड में कोरोना मरीजों का आंकड़ा एक हजार पार कर गया है. कई सरकारी संस्थानों ने बचाव के लिए कई उपाय किए हैं. पलामू सेंट्रेल जेल में पूरे राज्य भर के कैदी पहुंचते हैं. कोविड-19 कोरोना से बचाव के लिए पलामू सेंट्रेल में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. जेल में जाने से पहले तीन स्तर पर जांच होती है, उसके बाद मेडिकल जांच से सभी को गुजरना पड़ता है. जेल से आने वाले नए विचाराधीन बंदी और सजायाफ्ता कैदियों को पहले 14 दिन क्वॉरेंटाइन में रखा जाता है. जेल में जाने से पहले सभी का पलामू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मेडिकल जांच किया जाता है.
पलामू सेंट्रल जेल में बनाए गए हैं तीन क्वॉरेंटाइन वार्डपलामू सेंट्रल जेल में बाहर से आए कैदी और बंदियों को क्वॉरेंटाइन में रखने के लिए तीन स्पेशल वार्ड बनाए गए हैं. तीनों वार्ड में सोशल डिस्टेंस का खास ख्याल रखा जाता जाता है. वार्ड से किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नही हैं. 22 मार्च के बाद पलामू सेंट्रल जेल में 288 विचाराधीन कैदी पहुंचे हैं. जिसमें 280 अंडरट्रायल हैं, जबकि आठ सजायाफ्ता. इस दौरान जेल से 142 लोग बाहर निकले हैं. पलामू सेंट्रल जेल के डॉक्टर बिरेंद्र ने बताया कि PMCH में सभी का कोविड-19 टेस्ट लिया जाता है. 14 दिन क्वॉरेंटाइन में रहने और रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद सभी कैदियों को सामान्य रुप से रखा जाता है.
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जेल गेट पर सेनेटाइजर की व्यवस्था
आने वाले कैदियों के लिए जेल के मेन गए पर एक मशीन लगाया गया है. मशीन के माध्यम से सभी को सेनेटाइज किया जाता है. अंदर जाने वाले सभी कैदी और बंदी को मास्क और सेनेटाइज दिया जाता है. बता दें कि जेल के अंदर ही मास्क और सेनेटाइजर तैयार किया जाता है.
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साफ-सफाई का विशेष ख्याल
पलामू सेंट्रेल जेल के जेलर प्रमोद कुमार गुप्ता बताते हैं कि सरकार के तरफ से जेल को लेकर कई गाइडलाइन जारी किए गए हैं. गाइडलाइन के अनुसार, सभी कदम उठाए गए हैं. जेल के अंदर साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जा रहा है.
995 विचाराधीन कैदी और बंदी
पलामू सेंट्रल जेल में 995 विचाराधीन कैदी और बंदी बंद हैं. जिसमें से करीब 250 सजायाफ्ता हैं, साथ ही 12 से अधिक महिलाएं भी बंद हैं. पलामू सेंट्रेल जेल में कई टॉप नक्सली और अपराधी भी बंद हैं.