झारखंड

jharkhand

अफीम तस्करों की छत्रछाया में हो रही है पोस्ता की खेती, 100 करोड़ से भी अधिक का है कारोबार

By

Published : Jan 8, 2021, 2:53 PM IST

Updated : Jan 8, 2021, 10:31 PM IST

पलामू में अवैध रूप से पोस्ता की खेती भारी मात्रा में की जा रही है. तस्कर भोले-भाले ग्रामीणों को बहला-फुसला कर खेती करा रहे हैं. पिछले एक दशक के दौरान पोस्ता की खेती का दायरा लाखों से बढ़ कर 100 करोड़ से भी अधिक हो गया है. हालांकि, इसके खिलाफ पुलिस अभियान लगातार जारी है.

poppy crop in palamu
डिजाइन इमेज

पलामू: झारखंड-बिहार सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलवाद के बाद एक नई समस्या पांव पसारने लगी है. पलामू, चतरा और गया सीमा पर पोस्ता की खेती अब बड़ी समस्या बन गई है. पोस्ता की खेती करने वालों को यह पता भी नहीं की वो कौन सा जहर तैयार कर रहे हैं. पिछले एक दशक के दौरान पोस्ता की खेती का दायरा लाखों से बढ़कर 100 करोड़ से भी अधिक हो गया है. पोस्ता से अफीम तैयार करने वाले तस्करों का नेटवर्क बिहार, यूपी, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों तक फैल चुका है.

देखें पूरी खबर

तस्कर ग्रामीणों को बहला फुसलाकर करवा रहे खेती

पलामू के अतिनक्सल प्रभावित इलाके में अफीम के तस्करों ने अपनी पकड़ को मजबूत बना ली है. वे ग्रामीणों को बहला फुसलाकर पोस्ता की खेती करवा रहे हैं. जानकारी के अनुसार पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के कुंडीलपुर गांव में 2019-20 में 100 एकड़ से भी अधिक में लगे पोस्ता की फसल को नष्ट किया गया था.

वहीं, खेती करने के आरोप में गांव के 14 लोग जेल में हैं. ग्रामीण बताते हैं कि तस्कर लालच देते हैं और ग्रामीणों को बीज उपलब्ध करवाते हैं. ग्रामीणों ने ईटीवी भारत को बताया कि एक कट्ठा (लगभग चार डिसमिल) की खेती के लिए तस्कर किसानों को 20 से 25 हजार रुपये देना का लालच देते हैं. फसल तैयार होने पर खराब बताकर आठ से 10 हजार रुपये ही उन्हें मिलता है. कुंडीलपुर के ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें यह नहीं पता की यह क्या है, उन्हें बताया गया है कि यह सरसों है. ग्रामीण बताते हैं कि खेती के लिए तस्कर बीज से लेकर हर चीज देते हैं.

ये भी पढ़ें-दुमका: गार्ड को बंधक बनाकर 97 लाख का सामान लूटा, 30 बदमाशों ने वारदात को दिया अंजाम

नक्सल इलाका होने का फायदा उठा रहे तस्कर

जिस इलाके में पोस्ता की खेती हो रही है वह इलाका अतिनक्सल प्रभावित है. नक्सल संगठन की इजाजत के बिना इलाके में कुछ भी नहीं हो सकता है. तस्कर ग्रामीणों से वन और गैरमजरुआ जमीन में अफीम की खेती करवा रहे हैं. जिस कारण कार्रवाई के दौरान सरकारी तंत्र को मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है. पलामू के मनातू, तरहसी, पिपराटांड़ और पांकी के क्षेत्रों में पोस्ता की खेती होती है. 2015 के बाद से पुलिस 1200 एकड़ से अधिक में लगी पोस्ता की फसल को नष्ट कर चुकी है. 300 से अधिक ग्रामीणों पर एफआईआर भी दर्ज हुआ है. वहीं, 40 से अधिक अफीम के इंटरस्टेट तस्कर गिरफ्तार हुए हैं.

वन विभाग कर रहा सख्ती

पोस्ता की खेती के लिए वन भूमि की इस्तेमाल को लेकर वन विभाग दो वर्षों के दौरान सख्त हुआ है. पलामू डीएफओ राहुल कुमार बताते हैं कि यह विधि व्यवस्था से अधिक सामाजिक समस्या बनती जा रही है. हर स्तर पर इसके लिए पहल करने की जरूरत है. वे बताते हैं कि पोस्ता की खेती करना अपराध है. वन विभाग की टीम पुलिस के साथ मिलकर कार्रवाई कर रही है.

फसल को नष्ट करने की जारी है कार्रवाई

दूसरी ओर पलामू एसपी संजीव कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि अब लोगों के बीच धीरे-धीरे जागरूकता आ रही है. पहले की अपेक्षा पोस्ता की फसल कम लगाई जा रही है. पुलिस ग्रामीणों के बीच जा रही है और उन्हें जागरूक भी कर रही है. वह बताते हैं कि इसके खिलाफ लगातार अभियान जारी रहेगा. पुलिस को जहां भी सूचना मिलेगी वहां जाएगी और फसल को नष्ट करेगी.

Last Updated : Jan 8, 2021, 10:31 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details