पलामू: झारखंड-बिहार सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलवाद के बाद एक नई समस्या पांव पसारने लगी है. पलामू, चतरा और गया सीमा पर पोस्ता की खेती अब बड़ी समस्या बन गई है. पोस्ता की खेती करने वालों को यह पता भी नहीं की वो कौन सा जहर तैयार कर रहे हैं. पिछले एक दशक के दौरान पोस्ता की खेती का दायरा लाखों से बढ़कर 100 करोड़ से भी अधिक हो गया है. पोस्ता से अफीम तैयार करने वाले तस्करों का नेटवर्क बिहार, यूपी, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों तक फैल चुका है.
तस्कर ग्रामीणों को बहला फुसलाकर करवा रहे खेती
पलामू के अतिनक्सल प्रभावित इलाके में अफीम के तस्करों ने अपनी पकड़ को मजबूत बना ली है. वे ग्रामीणों को बहला फुसलाकर पोस्ता की खेती करवा रहे हैं. जानकारी के अनुसार पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के कुंडीलपुर गांव में 2019-20 में 100 एकड़ से भी अधिक में लगे पोस्ता की फसल को नष्ट किया गया था.
वहीं, खेती करने के आरोप में गांव के 14 लोग जेल में हैं. ग्रामीण बताते हैं कि तस्कर लालच देते हैं और ग्रामीणों को बीज उपलब्ध करवाते हैं. ग्रामीणों ने ईटीवी भारत को बताया कि एक कट्ठा (लगभग चार डिसमिल) की खेती के लिए तस्कर किसानों को 20 से 25 हजार रुपये देना का लालच देते हैं. फसल तैयार होने पर खराब बताकर आठ से 10 हजार रुपये ही उन्हें मिलता है. कुंडीलपुर के ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें यह नहीं पता की यह क्या है, उन्हें बताया गया है कि यह सरसों है. ग्रामीण बताते हैं कि खेती के लिए तस्कर बीज से लेकर हर चीज देते हैं.
ये भी पढ़ें-दुमका: गार्ड को बंधक बनाकर 97 लाख का सामान लूटा, 30 बदमाशों ने वारदात को दिया अंजाम