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नक्सली इलाकों में पुलिस पिकेट ने किया बड़ा बदलाव, पहली बार लोग उत्साह से मनाएंगे गणतंत्र दिवस

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Published : Jan 20, 2021, 11:02 PM IST

पलामू के नक्सल प्रभावित इलाकों में तेजी से बदलाव हुआ है. नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले कुहकुह कला, चेतमा, सहित कई इलाकों में पुलिस पिकेट की बदौलत तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं. कभी इन इलाकों में लोग नक्सलियों के भय से बाइक नहीं खरीदते थे, लेकिन अब यहां तेजी से चार पहिया गाड़ियां दौड़ रही हैं. इन इलाकों में स्कूल खुलने लगे हैं. बाजार सजने लगे हैं. तेजी से सरकार की आधारभूत संरचना तैयार हो रही है, जिससे यहां के लोगों में खुशी है.

police picket made changes in naxalite areas of palamu
नक्सली इलाकों में पिकेट ने किया बदलाव

पलामू: 2007-08 में नक्सलियों के खिलाफ अभियान के लिए जिले के मनातू थाना क्षेत्र के चक में एक पिकेट की स्थापना की गई थी. उसके बाद से अब तक जिले में 17 पुलिस पिकेट बन गए हैं. सभी पिकेट ने इलाके में बड़ा बदलाव लाया है. यह बदलाव एक दिन में नहीं हुआ है, बल्कि एक दशक से भी अधिक समय लगे हैं. इस बदलाव में बड़ी आबादी जो कभी लोकतंत्र से अलग थलग थी, अब मुख्यधारा से जुड़ गई है.

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70 के दशक से नक्सली हिंसा की चपेट में है पलामू

पलामू 70 के दशक से नक्सली हिंसा की चपेट में है. अब यहां पुलिस और सुरक्षाबलों की मौजूदगी में तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं. पिकेट लोगों को सुरक्षित माहौल दे रही है. पलामू के नक्सल प्रभावित इलाकों में तेजी से बदलाव हुआ है. नक्सलियों के गढ़ माने जाने वाले कुहकुह कला, चेतमा, डगरा, पथरा, महूदंड, ताल, मिटार, मंसुरिया, पदमा, चक, डबरा, कसमार में पिकेट की बदौलत तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं. कभी इन इलाकों में लोग नक्सलियों के भय से बाइक नहीं खरीदते थे, लेकिन अब यहां तेजी से चार पहिया दौड़ रही है. इन इलाकों में स्कूल खुलने लगे हैं. बाजार सजने लगे हैं. तेजी से सरकार की आधारभूत संरचना तैयार हो रही है.

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पिकेट ने लाया है बड़ा बदलाव

नौडीहा बाजार के डगरा पिकेट ने बड़ा बदलाव लाया है. इस इलाके में हाट और बाजार सजने लगे हैं. चक जैसे इलाक में 2009 तक सिर्फ गांव में एक स्कूटर था, लेकिन अब यहां 400 से अधिक बाइक और दो दर्जन से अधिक चार पहिया वाहन हैं. पलामू में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 17 पुलिस पिकेट बनाए गए हैं. पिकेट के माध्यम से नक्सलियों पर नकेल कसी गई है. नतीजा यह है कि पिछले एक दशक में नक्सल हिंसा में 80 प्रतिशत तक की कमी हुई है. 2016 के बाद से 20 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया गया है, जबकि 200 से अधिक की गिरफ्तारी हुई है. ग्रामीण बताते हैं कि पिकेट के कारण माहौल बदल गया है. अब लोग सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

पहली बार मनेगा गणतंत्र दिवस

डगरा, पथरा और ताल के ग्रामीण बताते हैं कि पिकेट बनने के बाद माओवादी दस्ता अब गांव में नहीं आता है. पहले वो परेशानी में रहते थे, लेकिन अब काफी कुछ बदल गया है. पहले पुलिस और नक्सलियों के बीच ग्रामीण पिसते थे, लेकिन अब माहौल बदल गया. पलामू के डगरा,पथरा, महूदंड, मंसुरिया और मिटार के कई गांव में पहली बार ग्रामीण उत्साह से गणतंत्र की मनाने की तैयारी कर रहे हैं. इलाके के गांवों में दशकों बाद झंडोत्तोलन किया जाएगा. पलामू एसपी संजीव कुमार बताते हैं कि नक्सली संगठन के खिलाफ पुलिस कड़ी कार्रवाई कर रही है. इसका नतीजा है कि यहां बदलाव हो रहा है. वह साफ तौर पर कह रहे हैं कि अभी उचित समय है. नक्सली आत्मसमर्पण करें, नहीं तो पुलिस की कार्रवाई के लिए वह तैयार रहें.

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