पलामू: जिला के रामबांध ग्राम पंचायत को 2008 में हैदरनगर प्रखंड से काट कर मोहम्मदगंज में शामिल कर दिया गया था. पंचायत से हैदरनगर प्रखंड की दूरी सिर्फ 2 से 3 किलो मीटर की है. जबकि मोहम्मदगंज प्रखंड 14 किलो मीटर दूरी है. ग्रामीणों को 14 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. जिससे लोग काफी परेशान हैं.
बताया जाता है कि पंचायत को मोहम्मदगंज प्रखंड में शामिल होने के दिन से आज तक ग्रामीण पंचायत को हैदरनगर में शामिल कराने के लिये जद्दोजहद कर रहे हैं. उन्होंने प्रशासनिक पदाधिकारी,जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाए. बात नहीं बनती देख उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया. उच्च न्यायालय ने सरकार से रिपोर्ट भी मांगा.
ग्रामीणों को हो रही परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी काम को लेकर मोहम्मदगंज जाते हैं तो उनका पूरा दिन बर्बाद होता है. अधिक पैसे भी खर्च होते हैं. उन्होंने बताया कि मजे की बात तो ये है कि उन्हें मोहम्मदगंज ब्लॉक जाने के लिये हैदरनगर से ही वाहन मिलता है.
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वहीं, वर्ष 2011 में राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री ने आश्वाशन दिया था. लेकिन कुछ नहीं हो पाया. रामबांध पंचायत को शिबू सोरेन सरकार ने हैदरनगर से मोहम्मदगंज प्रखंड में शामिल करके पंचायत के लोगों को मुसीबत में डाल दिया है. स्थानीय ने सरकार से इस समस्या के समाधान की मांग की है. उन्होंने कहा है कि अबतक ग्रामीणों द्वारा किया गया पत्राचार और अधिकारियों का पत्र लेकर वह जनता दरबार के माध्यम से मुख्यमंत्री से मिलेंगे. उन्हें भरोसा है कि मुख्यमंत्री रघुबर दास से उन्हें न्याय मिलेगा.