पलामू:प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के एक ग्रुप द्वारा पलामू टाइगर रिजर्व के ट्रैकर देव कुमार प्रजापति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. देव कुमार प्रजापति की हत्या के बाद पलामू टाइगर रिजर्व इलाके के बूढ़ा पहाड़ और उसके आस-पास के इलाके में तैनात वन कर्मी दहशत में हैं. दहशत के कारण पलामू टाइगर रिजर्व के कई इलाकों में नाइट पेट्रोलिंग भी बंद हो गई है, जबकि नाइट पोस्ट पर भी कोई कर्मी तैनात नहीं हो रहा है. रात्रि पाली की सुरक्षा गतिविधि बंद होने से पीटीआर के वन्य जीवों पर खतरा बढ़ गया है.
ये भी पढ़ें:Naxalite Violence in Netarhat: नेतरहाट में नक्सली हमला, ग्रामीण की पीट-पीटकर हत्या
पलामू टाइगर रिजर्व के बारेसाढ़, छिपादोहार, गारु और महुआडांड़ के इलाके में 150 से अधिक ट्रैकर और दो दर्जन से अधिक वनरक्षी तैनात हैं. कुछ दिन पहले पीटीआर के मारोमार में ट्रैकर और वन रक्षियों की बड़ी बैठक हुई. इसी बैठक में देव कुमार प्रजापति हत्याकांड के बाद उत्पन्न हुई स्थिति को लेकर चर्चा की गई. पीटीआर कर्मी संघ के अध्यक्ष सिद्धनाथ झा बताते हैं कि घटना के बाद वनकर्मी काफी दहशत में हैं, खास कर ट्रैकर.
पीटीआर के ट्रैकर अंदरूनी हिस्से में दाखिल होते हैं और वन्य जीवों पर नजर रखते हैं. अधिकारियों को मामले में हालात सामान्य करने के लिए पहल करनी चाहिए. सिद्धनाथ झा ने बताया कि वॉच टावर पर तैनात रहने वाले कर्मी सबसे अधिक दहशत में हैं. वन विभाग के अधिकारी और कर्मी जंगल के अंदर दाखिल नहीं होते हैं जंगल के अंदर ट्रैकर ही दाखिल होते हैं, और पूरे जंगल तथा जंगली जीवों की सुरक्षा करते हैं.
1129 वर्ग किलोमीटर के पीटीआर में 300 से अधिक ट्रैकर:पलामू टाइगर रिजर्व का पूरा इलाका 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है. पलामू टाइगर रिजर्व में करीब 300 ट्रैकर तैनात हैं. ट्रैकर वन्यजीव पर निगरानी रखने के साथ-साथ इनकी स्थिति का भी आकलन करते हैं. ट्रैकर ही वन्य जीव की गिनती करते हैं और वन्य जीवों का शिकार न हो इसे रोकने के लिए पेट्रोलिंग करते हैं.
देव कुमार प्रजापति हत्याकांड के बाद से ट्रैकर दहशत में हैं और जंगल में दाखिल होने से बच रहे हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पूरे हालात का आकलन किया जा रहा है, मामले में पुलिस और अन्य तंत्र से भी बातचीत की गई है. वन कर्मियों को किसी प्रकार की पेट्रोलिंग में समस्या नहीं हो इसके लिए कदम उठाया जा रहे हैं. पूरे हालात को मुख्यालय स्तर पर अवगत करवाया गया है.
तीन दशक में पहली बार पीटीआर कर्मी की हत्या:पलामू टाइगर रिजर्व का शत-प्रतिशत इलाका नक्सल प्रभावित है. पिछले तीन दशक के दौरान माओवादियों ने पहली बार किसी पीटीआरकर्मी की हत्या की है. 1995 से 2000 के बीच कुछ पीटीआर कर्मियों की लैंडमाइंस के चपेट में आने से मौत हुई थी. माओवादियों द्वारा किसी भी पीटीआर कर्मी पर हमला का यह पहला मामला है.
इससे पहले माओवादियों के भय के कारण पीटीआर के बूढ़ापहाड़ से सटे हुए इलाकों में ट्रैकिंग कैमरे नहीं लगाए जाते थे. पहली बार पीटीआर के बूढ़ा पहाड़ इलाके में 2023 में ट्रेकिंग कैमरे लगाए गए हैं. मृतक ट्रैकर देव कुमार प्रजापति बूढ़ा पहाड़ के इलाके में तैनात था, जबकि उसकी हत्या घर के पास हुई है. नक्सलियों के कमजोर होने के बाद बूढ़ा पहाड़ के इलाके में वन कर्मी दाखिल हो रहे हैं. किसी भी पीटीआर कर्मी की पीट पीटकर की गई हत्या का यह पहला मामला है लेकिन यह अचंभित करने वाला भी है जब नक्सली गतिविधि पूरे चरम पर थी तब एक भी ऐसी घटना नहीं हुई.