पलामूः पीटीआर से होकर गुजरने वाले रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के थर्ड लाइन का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पंहुच गया है. पीएम की अध्यक्षता वाली वाइल्ड लाइफ बोर्ड मामले में फैसला लेगी. सोननगर से पतरातू तक रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर (थर्ड लाइन) का निर्माण किया जा रहा है. फ्रेट कॉरिडोर के तहत 11 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पलामू टाइगर रिजर्व (third line of railways in PTR) के कोर एरिया से होकर गुजरेगी.
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पीटीआर ने पूरे मामले में रेलवे बोर्ड को रेल लाइन डाइवर्ट करने का आग्रह किया है. रेलवे विकास निगम ने फरवरी 2021 में ऑनलाइन आवेदन देकर थर्ड लाइन को पीटीआर से गुजरने के बाद एनओसी मांगा था. पूरे मामले में सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें रेलवे बोर्ड के आवेदन पर साफ तौर पर नॉट रिकमेंड लिख दिया गया है. पीटीआर उपनिदेशक कुमार आशीष ने बताया कि थर्ड लाइन से पीटीआर को काफी नुकसान होने वाला है. दर्जनों ट्रेन गुजरेगी जिस कारण वन्य प्राणियों को नुकसान होगा. स्टेट वाइल्ड लाइफ ने रेलवे के इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी है. उन्होंने बताया कि पूरे मामले में एक संयुक्त सर्वे टीम बनाई गई थी, जिसने आज तक सर्वे ही नहीं किया है.
पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि जंगल के बीच से थर्ड लाइन के गुजरने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बेहद गंभीर मामला है. वन्य जीव के घरों को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है. वन्यजीवों के परिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करने पर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. सामाजिक कार्यकर्ता सतीश कुमार ने कहा कि थर्ड लाइन झारखंड से खनिज संपदाओं को ढोने के लिए बनाया जा रहा है. लेकिन यहां के वन्य जीवों और पर्यावरण को बचाने पर किसी का ध्यान नहीं है.
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थर्ड लाइन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारीः पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से थर्ड लाइन करीब 11 किलोमीटर गुजारनी है. पीटीआर प्रबंधन ने छिपादोहर रेलवे स्टेशन के पास से रेल लाइन को डाइवर्ट करने का आग्रह किया है जो केड होते हुए हेहेगड़ा तक जाएगी. यह दूरी करीब 14 किलोमीटर की होगी. इस पूरे मामले में विवाद के निपटारे के लिए रेलवे विकास निगम पीटीआर प्रबंधन की एक संयुक्त टीम बनाई गई थी.
यह टीम रेल लाइन डाइवर्ट करने को लेकर सर्वे करने वाली थी, टीम को 2021 में है अपनी रिपोर्ट सौंपने थी. लेकिन पूरे मामले में रेलवे विकास निगम का कोई भी अधिकारी ने टीम में साथ इलाके का सर्वे नहीं किया. पहली रेल लाइन इलाके में 1924 में बिछाई गई थी. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व 1971-72 में बना था. टाइगर रिजर्व बनने के बाद इलाके में इससे संबंधित कानून लागू हो गए थे.