पलामू: मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और उसके आसपास के इलाके में चार वर्षों में बाघों की संख्या बढ़ गई है. 2018 में बाघों की सेन्सस रिपोर्ट के अनुसार 1033 बाघ मौजूद थे. 2022 में हुए सेन्सस में 1161 बाघ हो गए हैं. रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटका के मैसूर में बाघों की संख्या के बारे में आंकड़े जारी किए हैं. देश के विभिन्न इलाकों में 53 टाइगर रिजर्व हैं. इनमें से एक पलामू टाइगर रिजर्व भी है. सभी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या के बारे सेंट्रलाइज रिपोर्ट जारी की गई.
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नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की निगरानी में बाघों की संख्या का आंकड़ा जारी किया गया है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उसके आस पास के राज्यों को सेंट्रल इंडियन हाइलैंड एंड ईस्टर्न घाट लैंडस्केप की श्रेणी में रखा है. इस इलाके में पूरे भारत में सबसे अधिक बाघ मौजूद हैं. दरअसल, प्रधानमंत्री द्वारा जारी बाघों के आंकड़ों में पलामू टाइगर रिजर्व का भी जिक्र है.
बाघों की संख्या को लेकर रिपोर्ट जारी करने के दौरान टाइगर रिजर्व का मैनेजमेंट, इफेक्टिवनेस ईवोल्यूशन रिपोर्ट भी जारी किया गया है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने फिलहाल ट्रैकिंग कैमरा में कैद हुए बाघों की तस्वीर से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित किए हैं और आंकड़े जारी किए हैं. अगले दो महीने में पग मार्क और स्कैट की जांच के बाद NTCA संशोधित रिपोर्ट भी प्रकाशित करेगी. इसमें बाघों की संख्या और अधिक बढ़ने की उम्मीद है. इस रिपोर्ट में पलामू टाइगर रिजर्व को 65.99 प्रतिशत ग्रेडिंग मिली है. इसे गुड की श्रेणी में रखा गया है. 2018 में यह आंकड़ा 53 प्रतिशत था.
अक्टूबर-नवंबर 2022 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अधिकारियों ने पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके का दौरा किया था और उसी दौरान एक रिपोर्ट तैयार की थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर पलामू टाइगर रिजर्व को ग्रेडिंग मिली है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि बाघों के संरक्षण को लेकर आगे और बेहतर प्रयास किया जाएगा, ताकि पीटीआर के ग्रेडिंग बढ़कर 90 प्रतिशत के करीब पंहुच जाए.