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जिस इलाके में माओवादियों का कभी था ट्रेनिंग सेंटर, वह इलाका बनेगा बाघों का ठिकाना, बूढ़ा पहाड़ के प्रस्ताव को एनटीसीए ने दी मंजूरी

पलामू टाइगर रिजर्व के बूढ़ा पहाड़ का इलाका अब बाघों का ठिकाना बनेगा. बूढ़ा पहाड़ को बाघों के हैबिटेट के रूप में तैयार करने के लिए एनटीसीए ने मंजूरी दे दी है.

Budha Pahad as tiger habitat
palamu tiger reserve

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 15, 2023, 9:23 PM IST

बूढ़ा पहाड़ का इलाका अब बाघों का ठिकाना बनेगा

पलामू:वह इलाका जो तीन दशक तक माओवादियों का सुरक्षित ठिकाना बना रहा, अब वह इलाका बाघों का नया ठिकाना बनेगा. हम बात कर रहे हैं, माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर रहे बूढ़ा पहाड़ के इलाके की. बूढ़ा पहाड़ का इलाका पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. बूढ़ा पहाड़ के इलाके को बाघों के प्रवास के लिए विकसित किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें:पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी और कर्मियों ने सीखा बोमा तकनीक, हिरण और चीतल के ट्रांसलोकेशन में किया जाएगा उपयोग

बूढ़ा पहाड़ करीब 52 किलोमीटर में फैला हुआ है. इसका अधिकांश इलाका पलामू टाइगर रिजर्व में है, जिसकी सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है. दिसंबर 2022 में सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ के इलाके को माओवादियों से खाली करवाया है. बूढ़ा पहाड़ को खाली होने के बाद पलामू टाइगर रिजर्व ने इलाके को बाघों के प्रवास के लिए तैयार करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया. इस प्रस्ताव को नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को भेजा गया था. एनटीसीए ने पलामू टाइगर रिजर्व के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति दे दी है. प्रस्ताव के स्वीकृत होने के बाद अब इलाके में बाघों के प्रवास के लिए हैबिटेट तैयार किया जाएगा. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बाघों की संख्या को लेकर संशय है, यही वजह है कि बाघों की मौजूदगी के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं.

बाघों के कॉरिडोर का हिस्सा है बूढ़ा पहाड़:बूढ़ा पहाड़ का इलाका बाघों के कॉरिडोर का हिस्सा है. यह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व और एमपी के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को जोड़ता है. पीटीआर और बांधवगढ़ के बाघ एक-दूसरे के इलाके में आते-जाते हैं. मार्च के महीने में बूढ़ा पहाड़ के इलाके में एक बाघ देखा गया था, जो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से आया था. इलाके में बाघों के भोजन और पानी की व्यवस्था की जानी है. इलाके में हिरण और चीतल की संख्या को बढ़ाया जाएगा और एक बड़े भाग को ग्रास लैंड बनाया जाएगा. बूढ़ा पहाड़ से सटे कुटकु के इलाके में ग्रास लैंड विकसित किया जाएगा. इलाके में वन कर्मियों की तैनाती बढ़ाई जाएगी और ग्रामीणों को बाघों को लेकर जागरूक किया जाएगा. बूढ़ा पहाड़ का इलाका घना जंगल है, जहां एक दर्जन के करीब गांव हैं. यह आबादी बाघों के कोर एरिया से दूर है.

कितना महत्वपूर्ण है बाघों के लिए बूढ़ा पहाड़ का इलाका:बूढ़ा पहाड़ का इलाका झारखंड में बाघों के आने-जाने के लिए एक द्वार है. इसी के रास्ते बाघ झारखंड में दाखिल होते हैं. यह पूरा कॉरिडोर झारखंड को सतपुड़ा से जोड़ने वाला है. पहले इस इलाके में माओवादियों का कब्जा था, जिस कारण कभी पीटीआर के अधिकारी इलाके में दाखिल नहीं हुए थे. बाघों के संरक्षण के लिए चलाए जा रहे योजना इस इलाके में लागू करना काफी मुश्किल भरा था. 2022 अंतिम महीना में पहली बार इलाके में बाघों की ट्रैकिंग के लिए कैमरा लगाया गया था. इस इलाके में तीन दशक तक बाघ या अन्य वन्य जीव की गिनती नहीं हुई थी.

क्या कहते हैं पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी:पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि बूढ़ा पहाड़ के इलाके को बाघों के प्रवास के लिए तैयार किया जा रहा है. इलाके में हिरण और चीतल का सॉफ्ट रिलीज सेंटर तैयार किया जा रहा है. ग्रास लैंड को बढ़ाया जा रहा है. निदेशक ने बताया कि पीटीआर ने इलाके के लिए एक प्रस्ताव एनटीसीए को भेजा था, जिसे मंजूर कर लिया गया है.

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