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Naxalites in Palamu: पलामू के इस इलाके में नक्सलियों ने दो साल तक लगा रखा था लॉकडाउन, सुरक्षाबलों ने बदला माहौल - नक्सल न्यूज

पलामू का चक इलाका नक्सलियों का गढ़ कहलाता था. यहां नक्सलियों का इतना वर्चस्व था कि लोग डर से गाड़ियां नहीं खरीदते थे. इतना ही नहीं नक्सलियों ने इस इलाके को 2 साल तक बंद करके रखा था. पुलिस जवानों की कार्रवाई के बाद चक के लोगों को नक्सलियों के लॉकडाउन से मुक्ति मिली थी.

naxalites imposed lockdown in chak
naxalites imposed lockdown in chak

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Published : Mar 20, 2022, 10:30 AM IST

Updated : Mar 20, 2022, 10:39 AM IST

पलामूः झारखंड की राजधानी रांची से करीब 300 किलोमीटर दूर पलामू और गया की सीमा पर मौजूद बाजार और इमारतें बता रही हैं कि नक्सलियों के गढ़ में पिछले एक दशक में कितना बड़ा बदलाव हुआ है. हम बात कर रहे हैं पलामू के मनातू के चक के इलाके की. यह इलाका कभी नक्सलियों की राजधानी कहलाती थी. देश ने तो कोरोना की वजह से लॉकडाउन देखा, लेकिन यहां के लोग पहले ही लॉकडाउन जैसी स्थिति को देख चके थे. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.

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कोविड-19 काल में लगातार दो वर्षों तक पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति रही. लेकिन उससे पहले चक के इलाके के लोग लॉकडाउन देख चुके हैं. प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने चक के इलाके को दो वर्षों तक बंद रखा था. माओवादियों के खौफ के कारण 70 प्रतिशत आबादी पलायन कर गई थी. चक का खौफ इतना था कि प्रखंड मुख्यालय से जोड़ने वाली मात्र 14 किलोमीटर की सड़क को बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पहल करनी पड़ी और दो कंपनी सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती करनी पड़ी थी.



माओवादियो के बंद से इलाके की आबादी कर गई थी पलायनःचक पलामू के मनातू प्रखंड का हिस्सा है. यह इलाका बिहार से गया और झारखंड के चतरा से सटा हुआ है. चक जाने के लिए पहले चतरा के इलाके से गुजरना पड़ता है. 2007-09 में झारखंड की पुलिस ने चक में कैंप की स्थापना की थी. 2009 में माओवादियों ने चक में पुलिस कैंप की स्थापना के विरोध में पूरे इलाके के बाजार को बंद करा दिया था. यही स्थिति करीब दो वर्षों तक बनी रहे. इस दौरान चक के 70 प्रतिशत ग्रामीण और व्यवसायी पलायन कर गए थे. माओवादियों ने उस दौरान आर्थिक और सामाजिक गतिविधि पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. माओवादियो ने चक के इलाके में कई बड़े नक्सल हमले भी किए थे. माओवादियों ने चक के भरे बाजार में सीआरपीएफ के जवान को गोली मार दी थी. पुलिस कैंप पर कई बार माओवादियों ने हमले भी किए थे. माओवादियों के खौफ के कारण इलाके में लोग बाइक और कोई भी गाड़ी की खरीदारी नहीं करते थे.

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300 जवानों की मौजूदगी में बदल गए हालातः चक के इलाके में पिछले एक दशक से 300 से अधिक सीआरपीएफ और अन्य बलों के जवानों को तैनात किया गया है. चक के साथ-साथ अब मसूरिया में भी पुलिस कैंप की स्थापना हो चुकी है. पिछले एक दशक में चक की आबादी पूरी तरह से बदल गई है. इलाके में बाजार सजते हैं और बड़ी बड़ी बिल्डिंग बन कर तैयार हैं. चक इलाके में करीब एक दर्जन गांव हैं. इन गांवों की धीरे-धीरे अब तस्वीरें बदलने लगी हैं. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि पलामू पुलिस ने इलाके के विकास के लिए पहल की है. इसी पहल का नतीजा है कि क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम हुई है और लोग सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. चक इलाके में विकास तेजी से हो रहा है.

Last Updated : Mar 20, 2022, 10:39 AM IST

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