पलामूःबरसात की शुरुआत के साथ पलामू टाइगर रिजर्व के कई जलस्रोतों में पानी भर गया है और कई जलस्रोत अभी भी सूखे हैं. वहीं जल स्रोतों में पानी भरने के बाद हाई अलर्ट जारी किया गया है. दरअसल, कई जलस्रोत संवेदनशील इलाकों में हैं, जहां शिकारी हिरण समेत अन्य जीवों का शिकार करते हैं. जुलाई से लेकर सितंबर के अंतिम सप्ताह तक वन्य जीवों का प्रजनन काल भी होता है. प्रजनन काल के दौरान वन्यजीव जंगलों को छोड़कर आबादी वाले इलाके में भी पहुंच जाते हैं. इस कारण उन पर खतरा मंडराने लगता है.
Monsoon Patrolling In PTR: पलामू टाइगर रिजर्व के जलस्रोतों के आसपास बढ़ी निगरानी, शिकारियों के निशाने पर वन्य जीव
पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मानसून पेट्रोलिंग शुरू हो गई है. इलाके के जलस्रोतों में पानी भरने के बाद शिकारियों की गतिविधियां क्षेत्र में बढ़ जाती हैं. इस कारण पीटीआर की टीम जलस्रोतों के आसपास विशेष निगरानी कर रही है, ताकि वन्य जीवों का शिकार नहीं हो सके.
जलस्रोतों के आसपास निगरानी बढ़ाई गईः पलामू टाइगर रिजर्व ने जलस्रोतों के आसपास खास निगरानी बढ़ाई गई है. पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में 40 से भी अधिक संवेदनशील इलाकों को चिन्हित किया है. जहां अतिरिक्त गार्ड और ट्रैकर को तैनात किया गया है. इन गार्ड और ट्रैकरों को अलग-अलग शिफ्ट में तैनात किया गया है और मोबाइल उपलब्ध करवाया गया है. सभी को एम स्ट्रिप एप से जोड़ कर पल-पल का अपडेट रखने को कहा गया है.
पीटीआर के इलाके में शुरू हुई मानसून पेट्रोलिंगःपलामू टाइगर रिजर्व का इलाके में बरसात की शुरुआत के साथ मानसून पेट्रोलिंग शुरू हो गई है. पेट्रोलिंग के लिए वन कर्मियों को अतिरिक्त गाड़ी और संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं. दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में जुलाई के पहले सप्ताह से सितंबर के अंतिम सप्ताह तक पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी गई हैं. इन महीनों में अक्सर वन्यजीव जंगली इलाकों से बाहर निकलकर आबादी वाले इलाके के नजदीक पहुंच जाते हैं. 2020 के बाद से पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में अब तक 37 से अधिक हिरणों का शिकार किया गया है. जिसमें 40 प्रतिशत शिकार बरसात के दिनों में हुए हैं.
पीटीआर की टीम हाई अलर्ट परःसबसे अधिक शिकार बरवाडीह , बेतला, सतबरवा, मनिका, छिपादोहर के इलाके में किया जाता है. पलामू टाइगर रिजर्व के एक वरीय अधिकारी ने बताया कि शिकार से जुड़ा हुआ मामला संवेदनशील है. कई टीमें निगरानी कर रही हैं. पिछले कुछ दिनों में एक दर्जन से अधिक शिकारी पकड़े भी गए हैं. फिर भी शिकार को रोकना बड़ी चुनौती है. वन्य जीव जलस्रोत के अगल-बगल प्रजनन करते हैं.