पलामू: कहां गया वह कागज जिसे टाना भगतों ने राज्य के मुख्यमंत्री को लिखा था. कागज की तलाश में टाना भगत कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं. कोई नंगे पांव तो कोई सिर्फ चप्पल पहने टाना भगत कार्यालय तक पंहुच रहे हैं लेकिन, उनके कागजात नहीं मिल रहे हैं. कार्यालय में पदाधिकारियों की गैर-मौजूदगी में कर्मचारी टाना भगतों के साथ दुर्व्यवहार (Misbehave with Tana Bhagat) भी कर रहे हैं, वहीं सवालों के जवाब के लिए अधिकारियों को फोन करने पर वे कॉल भी नहीं उठा रहे हैं.
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क्या है पूरा मामला: टाना भगतों को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सच्चा अनुयायी कहा जाता है. आज भी वे उनके पद चिन्हों पर चलते हैं. दरअसल, 24 जून को टाना भगतों ने लातेहार डीसी के माध्यम से सीएम को एक पत्र भेजा था. उस दौरान टाना भगतों को बताया गया था कि पलामू कमिश्नर के माध्यम से पत्र को सीएम के पास भेजा जा रहा है. कमिश्नर के माध्यम से पूरे मामले में कार्रवाई होगी. अपने मांगों के संबंध में हुई कार्रवाई और सीएम को भेजे गए पत्र की जानकारी के लिए टाना भगत पलामू कमिश्नर ऑफिस (Palamu Commissioner Office) पहुंचे थे लेकिन, पलामू कमिश्नर अपने कार्यालय में नहीं थे. सुधीर टाना भगत ने बताया कि कमिश्नर के कार्यालय में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है. किसी भी कर्मचारी ने उनके साथ सही व्यवहार नहीं किया है. उनके दस्तावेज और पत्र के बारे में कमिश्नर कार्यालय में कोई भी जानकारी नहीं है.
सीएम को भेजे गए पत्र में क्या था: उन्होंने बताया कि इस संबंध में जब लातेहार के अधिकारियों को फोन कर उनसे जानकारी लेनी चाही तो किसी भी अधिकारी ने फोन नहीं उठाया. कुछ अधिकारियों ने फोन भी उठाया तो, बाद में बात करते हैं कह कर बात नहीं की और दोबारा कॉल नहीं उठाया. टाना भगतों ने बताया कि वे पलामू, रांची, हजारीबाग, धनबाद और सिंहभूम में उनके लिए छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1947 (Chotanagpur Tenancy Act 1947) के तहत होल्डिंग फ्रीडम की मांग कर रहे हैं. इसी से संबंधित मांग पत्र सीएम को भेजा गया था.