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झारखंड में खत्म हुआ माओवादियों के पीएलजीए दस्ते का खौफ, यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटर तबाह

Maoists PLGA squad ends in Jharkhand. माओवादियों का पीएलजीए दस्ते का किसी जमाने में खौफ हुआ करता था. गुरिल्ला आर्मी दस्ता फौजी कार्रवाई के लिए जाना जाता था. लेकिन अब बिहार और झारखंड में पीएलजीए का खौफ खत्म हो गया है. जानिए कैसे और कब बना था पीपुल्स लिबरेशन का गोरिल्ला आर्मी.

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Maoists PLGA Squad Ends In Jharkhand

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 2, 2023, 7:35 PM IST

पलामूः माओवादी अपने गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) का स्थापना सप्ताह मना रहे हैं. माओवादियों का पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) सबसे मजबूत विंग है और हिंसक घटनाओं को यही अंजाम देता है. हालांकि पिछले एक वर्ष के दौरान झारखंड और बिहार में माओवादियों के पीएलजीए का यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटर तबाह हो गया है. माओवादियों की सभी फौजी कार्रवाई पीएलजीए ही अंजाम देता है. माओवादी संगठन के पीएलजीए ने फौजी कार्रवाई के लिए कई तकनीक को विकसित किया है. माओवादी दो से सात दिसंबर तक स्थापना सप्ताह मना रहे हैं. स्थापना सप्ताह को लेकर माओवादियों ने पोस्टरबाजी भी की है. स्थापना सप्ताह शुरू होने के साथ ही पीएलजीए पूरे देश में चर्चा के केंद्र में है.

माओवादियों ने कैसे और क्यों बनाया था गुरिल्ला आर्मी कोःनक्सली संगठन पिपुल्स वार ग्रुप ने फौजी कार्रवाई के लिए दिसंबर 2000 में पीपुल्स लिबरेशन का गोरिल्ला आर्मी का गठन किया था. उस दौरान माओवादियों के टॉप कमांडर श्याम, मुरली और महेश मारे गए थे. तीनों के मारे जाने के बाद माओवादियों ने अपने गोरिल्ला आर्मी को और मजबूत किया और दिसंबर 2002 में गोरिल्ला आर्मी का नाम पीएलए रखा था. 2004 में पीपुल्स वार ग्रुप और माओइस्ट कम्युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (MCCI)के अन्य नक्सल संगठनों का विलय हो गया. नक्सलियों के आपसी विलय के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) बना और पीएलए का नाम बदल कर पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी रखा गया. माओवादियों में पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गोरिल्ला आर्मी का कमांडर काफी ताकतवर होता है. माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य या केंद्रीय कमेटी सदस्य को इसका टॉप कमांडर बनाया जाता है. उसके नीचे स्टेट, उसके बाद जोनल, इसी तरह से सब जोनल एरिया और प्लाटून कमांडर बनाए जाते हैं. माओवादियों के लिए पीएलजीए ही लेवी वसूलता है और कैडर जोड़ता है.

झारखंड-बिहार में खत्म हुआ पीएलजीए का यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटरःझारखंड और बिहार में पीएलजीए का यूनिफाइड कमांड और ट्रेनिंग सेंटर पिछले एक वर्ष के अंदर तबाह हो गया है. पीएलजीए का ट्रेनिंग सेंटर चर्चित बूढ़ापहाड़ था, जबकि यूनिफाइड कमांड झारखंड-बिहार सीमा पर मौजूद छकरबंधा में मौजूद था. दोनों जगहों पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है. झारखंड-बिहार में पीएलजीए के लड़ाकों की संख्या 150 के करीब हैं. दरअसल, झारखंड-बिहार में छत्तीसगढ़ के बाद दूसरी सबसे बड़ी पीएलजीए की टीम थी. आकंड़ों की बात करें तो 2008-09 में झारखंड और बिहार में पीएलजीए के लड़ाकों की संख्या 2500 से 3000 के करीब थी. इससे अधिक पीएलजीए लड़ाकों की संख्या छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य स्पेशल जोन कमेटी में 5000 के करीब थी.

खात्मे के कगार पर पहुंच गया पीएलजीएःएक पूर्व माओवादी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पीएलजीए के गठन के बाद बड़ी संख्या में हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जाने लगा था. पीएलजीए की कार्रवाई ने कई इलाकों में अपने लिए खतरा खड़ा किया था, नतीजा सुरक्षाबलों ने उसे टारगेट किया और धीरे-धीरे कमजोर कर दिया. आज इनकी संख्या दर्जनों में सिमट गई है. पूर्व माओवादी ने बताया कि पीएलजीए के कमांडर खुद को ताकतवर समझने लगे थे और सेंट्रल कमेटी की बातों को नहीं मानते थे. नतीजा है कि वे खात्मे के कगार पर पहुंच गए हैं.

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