पलामू: पूरा देश आज किसानों की हालात को लेकर चर्चा कर रहा है. पक्ष हो या विपक्ष सभी किसानों के सवालों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. झारखंड-बिहार के कुछ ऐसे भी इलाके हैं जहां के किसान आंदोलन के बीच चिंतित हैं कि उनके खेतों तक पानी कैसे पहुंचेगी. सावन के बाद खेतों में लगी धान की फसल को एक बार फिर से बारिश का इंतजार है. यह इंतजार छह दशकों से है, ऐसा नहीं है कि किसानों के इस इंतजार के लिए सरकारों ने कदम नहीं उठाया. सरकारों ने कदम उठाया लेकिन कुछ विवाद और कुछ प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ गई. हम बात कर रहे पलामू प्रमंडल में 70 के दशक में शुरू हुई सिंचाई परियोजनाओं की. अरबों खर्च होने के बावजूद अभी भी अधूरी है.
ये भी पढ़ें-उत्तर कोयल मुख्य नहर से 10 जुलाई से मिलने लगेगा पानी, 9 जुलाई से हटा लिया जाएगा डायवर्जन
शुरू हुई थी तीन बड़ी सिंचाई परियोजनाएं
70 के दशक में अविभाजित बिहार में पलामू प्रमंडल में तीन बड़ी सिंचाई परियोजनाएं शुरू हुई थी. ये योजनाएं हैं उत्तर कोयल नहर परियोजना का मंडल डैम, बटाने सिंचाई परियोजना और कनहर सिंचाई परियोजना. तीनों परियोजनाओं में अब तक एक हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ है. किसानों के लिए आवाज उठाने वाले सतीश कुमार बताते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों उदासीन है. दोनों को किसानों की चिंता नहीं है. किसानों के खेतों तक पानी पहुंचना जरूरी है, लेकिन सरकारें आपसी लड़ाई में योजनाओं को पूरा नहीं कर रहे हैं. हर चुनाव में इन परियोजनाओं की बात होती है. लेकिन चुनाव बाद इसे पूरा करने के लिए कोई नहीं सोचता.
ये भी पढ़ें-कनहर बराज प्रोजेक्ट को लेकर प्रशासन सख्त, मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिया निर्देश
अधिकतर सिंचाई परियोजना से बिहार को होने वाला है फायदा
उत्तर कोयल नहर परियोजना के मंडल डैम और बटाने सिंचाई परियोजना से बिहार के बड़े हिस्से को सिंचाई के लिए पानी मिलने वाला था. जबकि कनहर सिंचाई परियोजना से छत्तीसगढ़ और यूपी को पानी मिलना था. झारखंड गठन के बाद बिहार और अन्य राज्यों के साथ इन सिंचाई परियोजनाओं के साथ विवाद बढ़ता गया जिस कारण सिंचाई परियोजना पूर्ण नहीं हो पाई. मंडल डैम को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया था बावजूद अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है. बटाने सिंचाई परियोजना के डूब क्षेत्र के लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार के बीच कई बिंदुओं पर सहमति नहीं बनी है. यह मामला हाई कोर्ट में चल रहा है.