पलामूः जिले में जमीन के छोटे-छोटे विवादों को सुलझाने में पीढ़ियां गुजर जाती हैं. इससे तमाम तरह के अपराध भी होते हैं. इसके निदान के लिए अब पलामू पुलिस ने पहल की है. अब पलामू के सभी थानों में हर शनिवार समाधान दिवस का आयोजन किया जाएगा. इतना ही नहीं अब सभी थानों में जमीन संबंधी विवाद का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा. ताकि जमीन विवाद का निपटारा हो जाए. इसके लिए पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने एक फॉर्मेट भी जारी किया है. फॉर्मेट जारी करने से पहले एसपी ने सभी अंचल अधिकारियों के साथ बैठक की.
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एसपी के पास पहुंचने वाले मामलों में 80 प्रतिशत जमीन विवाद के
पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, पलामू में एसपी चंदन कुमार सिन्हा के पास पहुंचने वाले मामलों में 70 से 80 प्रतिशत जमीन विवाद के ही होते हैं. जमीन विवाद की संख्या को देखते हुए पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने पूरे मामले की जांच की. जांच के दौरान उन्होंने पाया कि जमीन संबंधी विवाद के निपटारे का अभिलेख कहीं नहीं रखा जाता है. इस पर उन्होंने सभी थाना प्रभारियों के लिए एक फॉर्मेट जारी किया. एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि इस फॉर्मेट में दोनों पक्षों के बारे में पूरी जानकारी रिकॉर्ड की जाएगी. दोनों पक्षों के दस्तावेज के बारे में जानकारी और पूरा ब्योरा दर्ज किया जाएगा. इससे वरीय पुलिस अधिकारी जब भी जमीन संबंधी विवाद के मामले की समीक्षा करना चाहेंगे तो उन्हें सारी जानकारी मिल जाएगी. उन्होंने कहा कि जमीन संबंधी विवाद के निपटारे को लेकर पलामू पुलिस पहल कर रही है, प्रत्येक शनिवार को थानों में प्रभारी और अंचल अधिकारी एक साथ बैठेंगे और विवाद का निपटारा कराएंगे.
पलामू पुलिस निपटाएगी जमीन विवाद, थानों में रखे जाएंगे जमीन के रिकॉर्ड
पलामू में अपराध पर नियंत्रण के लिए पलामू के एसपी ने नई पहल की है. इस कड़ी में अब पुलिस जिले में जमीन विवादों का निपटारा कराएगी. इसके लिए हर थानों में रिकॉर्ड भी रखे जाएंगे. हर शनिवार को थानों में समाधान दिवस भी लगाया जाएगा.
पुलिस के अनुसार पलामू में नक्सलवाद की जड़ में जमीन समस्या भी है. जमीन पर कब्जों को लेकर 1970 के बाद कई संघर्ष हुए हैं और हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी है. 1984 में पहली नक्सल हत्या का मामला भी जमीन विवाद से जुड़ा है. उसके बाद से मनातू, चैनपुर, रंका, बिश्रामपुर, नामुदाग, नावाजयपुर, हुसैनाबाद, नौडीहा बाजार, पांडु, पांकी के इलाके में राज परिवार और जमींदारों के साथ जमीन के विवाद में हजारों लोगों की जान गई. बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद जमीन के लिए अपराधीकरण शुरू हुआ और हत्याओं का दौर भी चला. 2013 से मई 2021 तक पलामू में 952 लोगों की हत्या हुई है, जिसमें से 550 से अधिक लोगों की हत्या जमीन विवाद के कारण हुई.