पलामू:मार्च के महीना का एक पखवाड़ा भी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन कई जल स्रोत सूखने लगे हैं. कई नदियां भी सूख गई हैं. झारखंड के कई इलाके भीषण सुखाड़ की चपेट में हैं. पलामू को संपूर्ण सुखाड़ क्षेत्र घोषित किया गया है. सुखाड़ के हालात को लेकर कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक जंगली जीवों के लिए कोई भी पहल नहीं की गई है.
Baulia Well Demand: क्या है बौलिया कुआं? जिसे जंगल में बनाने की हो रही मांग - Palamu News
गर्मी शुरू होते ही जो सबसे बड़ी समस्या सामने आती है, वो है जल संकट. झारखंड के कई इलाके सूखे की चपेट में हैं, जिसमें पलामू जिला भी शामिल है. लोगों को पानी की समस्या ना हो इसके लिए प्रशासन की तरफ से कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जंगली जीवों के लिए अभी तक कोई पहल नहीं की गई है. इसी को ध्यान में रखते हुए जंगल में बौलिया कुआं बनाने की मांग की जा रही है.
![Baulia Well Demand: क्या है बौलिया कुआं? जिसे जंगल में बनाने की हो रही मांग Baulia Well Demand in Palamu](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-17976006-thumbnail-4x3-palamu.jpg)
जंगली इलाके में सूखते जल स्रोत को लेकर बौलिया कुआं बनाने की मांग उठने लगी है. वनराखी मूवमेंट के प्रनेता सह चर्चित पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल बौलिया कुआं बनाने की मांग उठा रहे हैं. इस संबंध में कौशल किशोर जायसवाल ने राज्य सरकार को एक पत्र भी भेजा है और बौलिया बनाने की मांग की है. कौशल किशोर जायसवाल ने प्रत्येक जंगली इलाके में 15 से 20 बौलिया कुआं बनाने का आग्रह किया है.
क्या है बौलिया कुआं? वन्य जीवों को इससे नहीं होगा नुकसान:दरअसल, बौलिया कुआं जंगली क्षेत्र में ढलान वाले क्षेत्रों में मनाई जाती है. कुएं के तीन तरफ से ऊंचाई रहती है जबकि एक तरफ ढलान रहती है, जिससे जंगली जीव पानी पीकर आसानी से बाहर निकल सकते हैं. पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि इस तरह के कुएं से जंगली जीवों को कोई नुकसान नहीं होगा. वे बताते हैं कि कई इलाके भीषण पानी के संकट से जूझ रहे हैं, जिस कारण बौलिया कुआं बनाने की जरूरत है. भविष्य में इस तरह के कुएं में पानी रह सकता है और वन्यजीवों के लिए जल संकट उत्पन्न नहीं होगा. कौशल किशोर जायसवाल बताते हैं कि इसकी शुरुआत उन्होंने अपने पंचायत से की है और निजी खर्च से इलाके में बौलिया कुआं बनवा रहे हैं.
सूख गई है पलामू की अधिकतर नदियां, पानी का संकट हुआ शुरू: पलामू की लाइफ लाइन माने जाने वाली सोन, कोयल, औरंगा, अमनात, तहले, बांकी, बटाने समेत कई नदियां पूरी तरह से सूख चुकी हैं. नदियों के सूखने के बाद जंगली इलाकों में भी पानी का संकट शुरू हो गया है. कई इलाके में पानी की तलाश में जंगली जीव आबादी वाले इलाकों में भटक कर पहुंच रहे हैं. पलामू के जंगलों में हाथी, हिरण, नीलगाय, बायसन जैसे जंगली जीव पाए जाते हैं. 2022 में पानी की तलाश में भटक कर करीब आधा दर्जन के करीब हिरणों की मौत हो गई थी, जबकि करने लगाए का रेस्क्यू किया गया था.