पलामू में पर्यटन के लिए नेतरहाट, बेतला नेशनल पार्क और पलामू टाइगर टाइगर रिजर्व पलामूः एक इलाका जो कई दशकों को तक नक्सली हिंसा के लिए चर्चित रहा, पर अब उस इलाके में बदलाव की बयार बह रही है. इसकी पहचान अब नक्सल हिंसा से अलग पर्यटन को लेकर बन रही है. ये इलाका है झारखंड की राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर पलामू जिला.
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पलामू के इलाके में आने वाले पलामू, गढ़वा और लातेहार में पर्यटन को एक नई पहचान देने की कोशिश की जा रही है. पलामू का जिक्र आने के साथ ही पर्यटन के लिए नेतरहाट, बेतला नेशनल पार्क और पलामू टाइगर टाइगर रिजर्व की तस्वीर उभर कर आती है लेकिन इन इलाकों में कई और दर्शनीय स्थल हैं जो सैलानियों को लुभा रहे हैं. पलामू प्रमंडल में 40 से अधिक स्थल हैं, जहां पर्यटन की असीम सम्भावनाएं हैं.
पलामू में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई स्तर पर पहल की जा रही है. पलामू के कमिश्नर मनोज जायसवाल बताते हैं कि जिले में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई इलाकों में आधारभूत संरचनाओं को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं तैयार की गयी हैं. कमिश्नर बताते हैं कि पर्यटन केंद्र पर सुविधाएं बहाल होंगी तो पर्यटक जरूर पहुंचेंगे. पर्यटकों के यहां पहुंचने से आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा. कमिश्नर ने बताया कि कई पर्यटन स्थल को चिन्हित किया गया है और वहां कनेक्टिविटी के साथ साथ कई आधारभूत संरचनाओं को विकसित किया जा रहा है.
हर साल 70 हजार से अधिक आते हैं पर्यटकः पलामू जोन में प्रतिवर्ष 70 हजार से भी अधिक पर्यटक पहुंचते हैं. यहां आंकड़ा सिर्फ अकेले पलामू टाइगर रिजर्व का है. जंगली इलाकों में नक्सलियों का प्रभाव कम होने के बाद पर्यटकों की संख्या में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. 2018 से पहले पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में 35 हजार के करीब पर्यटकों का आंकड़ा था. इनमें 70 प्रतिशत से अधिक सैलानी पश्चिम बंगाल से पहुंचते हैं. पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना बताते हैं कि यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ कई राज्यों के पर्यटक पहुंच सकते हैं. पीटीआर के उपनिदेशक ने बताया कि पर्यटन की सारी गतिविधि ईको डेवलपमेंट कमेटी को सौंपने की योजना है, इस योजना के तहत स्थानीय ग्रामसभा को इसके संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी. इस योजना के तहत स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देना और ग्रामीणों की आय में बढ़ाने की भी योजना है.
जानें, कौन कौन से हैं प्रमुख पर्यटन केंद्रः पर्यटन विभाग ने पलामू जोन में पर्यटन केंद्र को तीन कैटेगरी में बांटा है. नेतरहाट और बेतला नेशनल पार्क को ए कैटेगरी में रखा गया है. लोभ वाटरफॉल, मिरचईया फॉल को बी कैटेगरी में रखा गया है. पलामू प्रमंडल में कई धार्मिक स्थल हैं, जिन्हें पर्यटन केंद्र के रूप में भी चिन्हित किया गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के पलामू किला, बूढ़ा फॉल, मिरचईया फॉल, सुग्गा बांध, बक्सा मोड़, केचकी, बारेसाढ़, मारोमार, मंडल समेत 21 इलाके चिन्हित हैं. पलामू का हैदरनगर देवी धाम, भीम बराज, मलय डैम, रानीताल डैम, गढ़वा के सुखलदरी जल प्रपात, राजा पहाड़ी, श्रीबंशीधर नगर मंदिर, केतार देवी मंदिर, अनराज डैम, लातेहार मां भगवती मंदिर समेत कई इलाके शामिल हैं.