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पलामू में एक बार फिर गर्माने लगा है सैंडर्स तालाब का मामला, आठ एकड़ से दो एकड़ से सिमट गया तालाब

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Published : Jul 14, 2022, 3:56 PM IST

Updated : Jul 14, 2022, 5:45 PM IST

पलामू में सैंडर्स तालाब का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. इस तालाब को लेकर नगर निगम और मछुआरे आमने सामने हैं. अब मछुआरों को जेएमएम का साथ मिलने लगा है.

JMM will agitate over Sanders pond in Palamu
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पलामू: एक बार फिर सैंडर्स तालाब का मामला गर्माने लगा है. सैंडर्स तालाब में ही मछलियों के बीज का पालन होता है उसे बिहार झारखंड सीमावर्ती इलाके में भेजा जाता है. तालाब के किनारे मछली के कारोबार करने वालों को कुछ समय पहले हटाने का आदेश जारी किया गया था. जिसके विरोध में बड़ा आंदोलन हुआ था. अब पूरे मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा की एंट्री हुई है. जेएमएम अब सैंडर्स तालाब के अतिक्रमण और मछुआरों के सवालों को लेकर आंदोलन करने वाली है.

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पलामू प्रमंडल मुख्यालय मेदिनीनगर के नावाटोली का सैंडर्स तालाब ऐतिहासिक है. किसी जमाने में इस तालाब का रकबा 8 एकड़ हुआ करता था. अब यह तालाब घटते-घटते 2 एकड़ का हो गया है. पूरे मामले को लेकर मेदिनीनगर नगर निगम और मछुआरे आमने-सामने हो गए थे और एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाने लगे थे. पूरे मामले में अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने आंदोलन की रणनीति तैयार की है. जेएमएम के जिला सचिव सानू सिद्दीकी और युवा नेता सन्नी शुक्ला ने बताया कि पूरे मामले को लेकर सरकार के सामने मछुआरों का पक्ष रखा जाएगा. तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए पहल की जाएगी.

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सैंडर्स तालाब से 200 से अधिक परिवारों का रोजगार चलता है. सभी परिवारों पर रोजगार की आफत हो गई है. सैंडर्स तालाब पलामू का इकलौता तालाब है जहां मछली के बीज का पालन होता है, इस तालाब से तैयार मछली के बीज को बिहार के गया और औरंगाबाद के इलाके में भी भेजा जाता है. इस तालाब से मत्स्य विभाग को प्रतिवर्ष तीन से चार लाख रुपये का राजस्व प्राप्त होता है.
Last Updated : Jul 14, 2022, 5:45 PM IST

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