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झारखंड स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड का गठन, फ्रेट कॉरिडोर और भारत माला प्रोजेक्ट का रास्ता होगा साफ

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Published : Dec 25, 2021, 4:40 PM IST

Updated : Dec 25, 2021, 5:05 PM IST

सरकार ने झारखंड स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड का गठन कर दिया है. नीलाम्बर पीताम्बर यूनिवर्सिटी के बॉटनी डिपार्टमेंट के जसवीर बग्गा को भी बोर्ड में सदस्य रखा गया है. सीएम बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं. बोर्ड के गठन के बाद पलामू में रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर, भारत माला प्रोजेक्ट, मंडल डैम समेत कई बड़ी परियोजना का रास्ता साफ हो सकता है.

Jharkhand State Wildlife Board
Jharkhand State Wildlife Board

पलामू: सुखाड़ और नक्सलवाद के लिए चर्चित पलामू के इलाके की तस्वीर बदल सकती है. सरकार ने झारखंड स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड का गठन किया है. बोर्ड के गठन नहीं होने के कारण कई बड़े प्रोजेक्ट के लिए वन विभाग की अनुमति नहीं मिल पा रही है. एक लंबे अरसे के बाद बोर्ड का गठन किया गया है, इस बोर्ड के माध्यम ने पूरे झारखंड में कई बड़े प्रोजेक्ट को वन विभाग स्वीकृति दे सकता है.

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पलामू में रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर, भारत माला प्रोजेक्ट, मंडल डैम समेत कई बड़ी परियोजना का रास्ता साफ हो सकता है. झारखंड स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के मुख्यमंत्री अध्यक्ष होते हैं. पलामू के नीलाम्बर पीताम्बर यूनिवर्सिटी के बॉटनी डिपार्टमेंट के जसवीर बग्गा को भी झारखंड स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड में सदस्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि उन्हें बोर्ड का सदस्य बनाया गया है. जल्द ही उन्हें कार्यों के बारे में जानकारी मिल जाएगी. उन्होंने बताया कि सरकार से जुड़े कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिस पर यह बोर्ड निर्णय लेगी.

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फ्रेट कॉरिडोर, मंडल डैम समेत कई प्रोजेक्ट को लेकर है विवाद

रेलवे मुगलसराय से लेकर पतरातू तक फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कर रहा है. इस कॉरिडोर के तहत रेलवे तीसरी लाइन बिछा रहा है. रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से 11 किलोमीटर गुजरती है. फ्रेट कॉरीडोर को लेकर पीटीआर ने आपत्ति दर्ज करवाया था और रेल लाइन को डाइवर्ट करने का आग्रह किया था. जबकि मंडल डैम के लिए पेड़ कटाई और मुआवजा को लेकर निर्णय बाकी है. जबकि केंद्र सरकार की भारत माला प्रोजेक्ट जो वाराणसी से रांची तक फोर लेन सड़क की परियोजना है उसके लिए भी वन विभाग की स्वीकृति नहीं मिली है.

इन सभी मामलों पर झारखंड स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड को निर्णय लेना है. बोर्ड निर्णय लेने के बाद पूरे मामले को वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया और सेंट्रल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ को भेजेगी. स्टेट बोर्ड की अनुशंसा पर ही केंद्रीय बोर्ड सभी प्रोजेक्ट को लेकर निर्णय लेगी. स्टेट बोर्ड अगर परियोजना पर सहमति जताती है तो सेंट्रल बोर्ड को संबंधित योजना का प्रस्ताव नहीं भेजा जाएगा.

Last Updated : Dec 25, 2021, 5:05 PM IST

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