पलामू: मां को सैल्यूट करती हूं, खुद की और मां के संघर्षों को याद करते हुए वह भावुक हो जाती हैं सब इंस्पेक्टर जुली टुडू. जुली टुडू पलामू के मेदिनीनगर टाउन थाना में तैनात हैं. जुली की तरह ही सब इंस्पेक्टर सोनी कुमारी, फिरदौस नाज और तारा सोरेंग की कहानी है. सभी सब इंस्पेक्टर हैं और मेदिनीनगर टाउन थाना में तैनात हैं. सभी के संघर्ष और मजबूत इरादों ने मुकाम पर पहुंचाया है.
बचपन में पिता का साया उठा, मां के संघर्ष और मेहनत ने बनाया अधिकारीगरीब परिवार में जन्म लेने वाली जुली टुडू आज झारखंड पुलिस में अधिकारी हैं. जुली इस्पात नगरी जमशेदपुर की रहने वाली हैं. बचपन में पिता का साया उठ जाने के बाद जुली की मां ने ही परिवार की जिम्मेदारी उठाई और नौकरी करनी शुरू की. जुली के हर कदम पर साथ दिया जिस कारण वह मुकाम पर पहुंची. जुली बताती हैं कि वह सभी से कहना चाहती हैं कि हौंसला को कभी नहीं हारना चाहिए, अकेली महिला अपने बच्चों को मुकाम दे सकती है.
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मेहनत के आगे हारी गरीबी, लड़कियों को खुद को मजबूत करने की अपील
रामगढ़ के भुरकुंडा की रहने वाली सब इंस्पेक्टर सोनी कुमारी ने भी संघर्षों के बदौलत मुकाम हासिल किया. एमफिल कर चुकी सोनी अपने परिवार में सबसे अधिक पढ़ी लिखी हैं और महिला सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण हैं. सोनी बताती हैं कि उसका परिवार गरीबी से गुजरा है, लेकिन उसके हर कदम पर परिवार का साथ मिला है. सोनी बताती हैं कि लड़कियों से वह अपील करती हैं कि लड़कियां खुद को मजबूत करें और अपने सपनों को पूरा करें.
'लोगों ने कहा- छोड़ दो पढ़ाई, मां ने दिया साथ'
रांची की रहने वाली तारा सोरेंग के सब इंस्पेक्टर बनते के साथ जीवन में सब कुछ बदल गया. मां ने नौकरी कर तारा को एमकॉम करवाया और तारा आज पुलिस अधिकारी हैं. एक वक्त ऐसा भी आया जब परिवारवाले तारा की पढ़ाई को बीच में रुकवा कर प्राइवेट जॉब की सलाह देते थे, लेकिन मां उनके साथ चट्टानों सी खड़ी रही. जब से वह अधिकारी बनी हैं समाज का देखने का नजरिया ही बदल गया है.
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बेहतर पुलिसिंग के लिए जानी जाती हैं फिरदौस
रांची की फिरदौस नाज इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की हुई हैं और झारखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं. आज वह पुलिसिंग के मामले में पुरूष पुलिस अधिकारियों से कंधे से कंधे मिलाकर चल रही हैं. अधिकारी बनने का सपना संघर्षों से काफी भरा हुआ है. फिरदौस बताती हैं कि अधिकारी बनने के दौरान कई मुश्किलें आई, लेकिन हर मुश्किल में परिवार चट्टान जैसा खड़ा रहा. फिरदौस नाज, जुली टुडू, तारा सोरेंग और सोनी कुमारी की संघर्ष और मेहनत ने उन्हें मुकाम तक पहुंचाया है. चारों समाज के लिए बड़ा उदाहरण हैं कि बेटियां बोझ नहीं हैं.