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पलामू में बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई, प्रशासन से 5 जनवरी तक मांगी रिपोर्ट, नहीं देने पर 25 हजार रुपए का लगेगा जुर्माना

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 21, 2023, 7:05 PM IST

Baba Bageshwar program in Palamu. पलामू में बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम की अनुमति को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने प्रशासन से 5 जनवरी तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

Hearing in Jharkhand High Court regarding Baba Bageshwar program in Palamu
Hearing in Jharkhand High Court regarding Baba Bageshwar program in Palamu

पलामूः बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम को लेकर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. झारखंड हाईकोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 5 जनवरी मुकर्रर की है. पूरे मामले में प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है. 5 जनवरी तक रिपोर्ट नहीं देने पर प्रशासन पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.

आयोजन समिति के नितेश सिंह ने बताया कि गुरुवार को मामले में सुनवाई हुई है. मामले में हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन से 5 जनवरी तक जवाब मांगा है. आयोजन समिति के संयोजक अरुणा शंकर ने कहा कि लाखों लोगों की आस्था का विषय है. धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम को लेकर प्रशासन एवं सरकार को अनुमति देनी चाहिए.

दरअसल फरवरी 2024 में पलामू में धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है. कार्यक्रम के आयोजन को लेकर श्री हनुमंत कथा आयोजन समिति ने अनुमति मांगी है. इससे पहले 10 से 12 दिसंबर तक पलामू में धीरेंद्र शास्त्री का कार्यक्रम का आयोजन किया जाना था. यह कार्यक्रम पलामू के सदर प्रखंड के अमानत नदी के तट पर आयोजित होना था, शुरुआत में जिला प्रशासन ने कार्यक्रम को लेकर अनुमति दे दी थी. बाद में प्रदूषण की बात बताकर इस अनुमति को रद्द कर दिया गया था. इसके बाद आयोजन समिति समिति ने चैनपुर के ओड़नार में धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर धाम का कार्यक्रम स्थल चयन किया है. कार्यक्रम को लेकर दर्जनों ग्रामीणों ने अपनी सहमति दी है और हस्ताक्षर युक्त एक पत्र भी सौंपा है.

आयोजन की अनुमति को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. 15 दिसंबर को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 18 दिसंबर को सुनवाई की तारीख निर्धारित की. 18 दिसंबर को कोर्ट में फिर 21 दिसंबर को सुनवाई निर्धारित की गई. हाईकोर्ट ने मामले में प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी लेकिन प्रशासन द्वारा रिपोर्ट नहीं दिए जाने के बाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है.

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