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हरितालिका तीज व्रत हर्षोल्लास के साथ संपन्न, 24 घंटे का निर्जला व्रत रख सुहागिनों ने की शिव की पूजा

पलामू जिले के छत्तरपुर में पति के दीर्घायु होने और परिवार की सुख समृद्धि के लिए पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ सोमवार को परंपरागत तरीके से हरतालिका व्रत तीज मनाया गया. 24 घंटे का निर्जला व्रत रखकर सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और मां पार्वती की अराधना करती हैं.

सुहागिन महिलाएं पूजा करती हुई

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Published : Sep 3, 2019, 12:01 AM IST

पलामू: पति के दीर्घायु होने और परिवार की सुख समृद्धि के लिए पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ सोमवार को परंपरागत तरीके से हरतालिका व्रत (तीज) का पर्व मनाया गया. जिले के छत्तरपुर में सुहागिनों ने निर्जला रहकर शिव और पार्वती का पूजन किया गया. इस दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ रात भर भजन-कीर्तन करती रहीं.

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अपने सुहाग की रक्षा और अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं तीज व्रत करती है. महिलाएं उपवास रहकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शिव की अराधना करती हैं. जिले के छत्तरपुर में इस बार पूजा का सर्वोत्तम समय पूर्वाह्न 4:36 से शाम 5:16 बजे तक रहा. इस दौरान छत्तरपुर के मंदिरों में काफी भीड़ देखने को मिला. पूजा के समय सीमा को देखते हुए सभी तीज व्रती पूजन कार्य में सुबह से ही जुटी रहीं. श्रद्धा एवं विश्वास के साथ महिलाओं ने सुख-शांति और वैभव के साथ पति के दीर्घायु की कामना के साथ पूजा-अर्चना की.

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वहीं, पंडितों ने घर और मंदिर में पूजा-अर्चना करवाई. कथा के अनुसार, गौरी शिव से शादी करना चाहती थी, जबकि उनके पिता गौरी की शादी भगवान विष्णु के साथ कराना चाहते थे. लेकिन गौरी शिव को मन ही मन अपना पति मान चुकी थी. यह बात जब गौरी ने अपने सहेलियों से बताई, तब सहेलियों ने गौरी को उसके घर से अगवा कर जंगल ले गई. जहां गौरी ने मिट्टी के शिवलिंग बनाकर शिव की साधना करने लगी. इस दौरान भगवान शिव प्रकट हो गए और गौरी से वचन दिया कि वह उनकी सातो जन्म तक पति रहेंगे. जिस दिन शिव ने गौरी को वरदान दिया वह दिन भादो महीने का शुक्ल पक्ष तृतीया की तिथि थी, तभी से व्रत को मनाने की परंपरा शुरू हुई.

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