पलामू: जिस इलाके में कभी लाल और काला झंडा लहराए जाते थे और नक्सलियों के खौफ के कारण लोग स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन घरों में दुबक जाते थे. उन इलाको में आज शान से तिरंगा लहरा रहा है. ऐसा एक दिन में नहीं हुआ है बल्कि ऐसी तस्वीर देखने के लिए कई दशक लगे हैं. दरअसल, आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) मना रहा है, इसे लेकर हर घर तिरंगा अभियान (Har Ghar Tiranga Abhiyan) भी चलाया जा रहा है. यह अभियान नक्सलियों के गढ़ पलामू तक पंहुचा, जिससे यहां एक नई तस्वीर देखने को मिल रही है.
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अंतिम छोर तक पुलिस जवान हैं तैनात: पुलिस और सुरक्षाबलों की मौजूदगी ने नक्सलियों के गढ़ में बदलाव लाया है. पलामू, गढ़वा और लातेहार में 70 से अधिक पुलिस कैंप स्थापित किए गए हैं. यह पुलिस कैंप नक्सलियों के गढ़ में स्थापित हुए हैं. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि पलामू, गढ़वा और लातेहार के अंतिम छोर तक पुलिस और सुरक्षाबल पहुंच गए हैं, जिस कारण लोगों को सुरक्षित माहौल मिला है. सरकार के हर घर तिरंगा अभियान के दौरान लोगों के मनोबल को बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि चाहे वह बूढ़ापहाड़ के इलाके की बात हो या बिहार से सटे में सीमावर्ती इलाके की पुलिस हर जगह मौजूद है.
अब बदल गया है माहौल:झारखंड-छत्तीसगढ़ और झारखंड-बिहार सीमा पर लोग जोश के साथ हर घर तिरंगा अभियान में भाग ले रहे हैं. पलामू के मनातू के ग्रामीण जितेंद्र ठाकुर ने बताया कि पहले लोग लाल और काला झंडा लगाते थे, वे तिरंगा नहीं फहरा पाते थे लेकिन अब माहौल बदला है, वे अब खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. पहले नक्सली बाधा डालते थे लेकिन, अब ऐसा नहीं है. पलामू का कई इलाका (Naxalite areas of Palamu) ऐसा है. जहां पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है.
यहां पहली बार मनाया जाना है स्वतंत्रता दिवस: हर घर तिरंगा अभियान ने नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले कई जगहों की तस्वीर बदल दी है. नक्सलियों का सुरक्षित मांद बूढ़ापहाड़ के बहेराटोली, थलियां जैसे इलाकों में पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है. पलामू के अलावा गढ़वा और लातेहार के डगरा, पथरा, करमटोली, चेतमा, करमडीह, कुहकुह, मतगड़ी, बूढ़ा, हेसातु, मंडल समेत कई ऐसे इलाके हैं, जंहा हर घर तिरंगा अभियान की तैयारी जोर शोर से की जा रही है. पुरुष और महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर तिरंगा लेकर रैलियां निकाल रहे हैं. उनके चेहरे पर नक्सलियों का कोई खौफ नजर नहीं आता है. पलामू मनातू के जाकर की महिला सुमित्रा देवी और दुलारी देवी ने बताया कि वे तिरंगा यात्रा को लेकर काफी उत्साहित हैं, उन्हें किसी का डर नहीं लगता. कुछ साल पहले तक माहौल ऐसा नहीं था लेकिन, अब माहौल बदल गया है.
नक्सलियों के खौफ के कारण नहीं होता था झंडोत्तोलन:कई दशक तक नक्सलियों के खौफ के कारण यहां झंडोत्तोलन नहीं होता था. माओवादी स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन सरकारी भवनों पर काला झंडा लगा देते थे. वहीं अपना फरमान जारी करने के लिए वे लाल झंडे का इस्तेमाल करते थे. कई दशकों तक यह माहौल जारी रहा था. जेपीसी जैसे नक्सल संगठन उल्टा तिरंगा भी लगाते थे.