पलामूः नक्सल प्रभावित इलाके में स्मार्ट क्लास ने शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है. पढ़ाई सुलभ बनने से स्कूलों में इनकी संख्या भी बढ़ी है और जेएसी एग्जाम उत्तीर्ण करने वालों की भी संख्या बढ़ी है. नतीजतन जिस इलाके से हर साल महज कुछ बच्चे परीक्षा पास करते थे अब वहां सैकड़ों की संख्या में बच्चे परीक्षा पास कर रहे हैं. गणित और विज्ञान विषय में कमजोर कक्षा दस और 12 के बच्चे अब इन विषयों में अच्छे अंक हासिल कर काबिल बन रहे हैं. तीन वर्ष पहले पलामू के कई इलाके में स्मार्ट क्लास शुरू की गई थी. इससे बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता में अच्छा खासा सुधार आता नजर आ रहा है.
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इससे पहले 2018 के शुरुआती महीने में पलामू जिला प्रशासन की पहल पर एक साथ 12 इलाकों में स्मार्ट क्लास से पढ़ाई लिखाई की शुरुआत कराई गई थी. स्मार्ट क्लास शुरू करने का लक्ष्य था कि नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों को विज्ञान, गणित और अंग्रेजी के विषय की कठिनाइयां दूर की जाए. इसके लिए पूरे जिले से चयनित शिक्षकों को स्मार्ट क्लास के जरिये पढ़ाई कराने की जिम्मेदारी दी गई है.
इस योजना के माध्यम से बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कराई जाती है. जिला शिक्षा पदाधिकारी उपेंद्र नारायण ने बताया कि इस योजना का लाभ कई छात्रों को मिला है, स्मार्ट क्लास से बच्चे काफी लाभान्वित हुए हैं और उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता भी बढ़ी है. पलामू के मनातू इलाके में स्मार्ट क्लास में पढ़ाई करने वाले छात्र राजू और सोनी ने बताया कि स्मार्ट क्लास से उन्हें काफी कुछ जानकारी मिली है. इस क्लास के माध्यम से पढ़ाई में काफी सहायता हुई है.
छात्र-छात्राओं ने बताया कि स्मार्ट क्लास में जो पढ़ाई कराई जाती है, उन्हें आसानी से समझ में आ जाती है. पलामू में एक साथ किशनपुर, छतरपुर ,हुसैनाबाद, चैनपुर, रामगढ़, विश्रामपुर, मनातू, पांकी और सतबरवा के इलाके में स्मार्ट क्लास शुरू की गई थी.
तीन वर्षों में मैट्रिक पास करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गईः स्मार्ट क्लास के माध्यम से पलामू के कई इलाकों में मैट्रिक पास करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गई है. पलामू के चक इलाके में पहले हर साल अमूमन सौ के करीब मैट्रिक के छात्र पास हुआ करते थे लेकिन पिछले तीन वर्षों से 400 के करीब मैट्रिक के छात्र पास कर रहे हैं. चक के शिक्षक ने बताया कि स्मार्ट क्लास ने इलाके की तस्वीर बदल दी है.