पलामू: जिले के हैदरनगर प्रखंड अंतर्गत परता गांव के किसानों का सिंचाई का मुख्य साधन मुरही नाला है. इस नाला में बांध का निर्माण साल 2007 में हुआ था, लेकिन 2017 में ही भारी बारिश के कारण बांध टूट गया. बांध के मरम्मत के लिए किसानों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को आवेदन दिया, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. साल 2018 में किसानों ने श्रमदान कर नाला पर बांध का निर्माण करवाया, लेकिन 2019 में भारी बारिश की वजह से टूट गया.
मुरही नाला में बने बांध के टूट जाने से 2020 में सिंचाई कैसे होगी इसे लेकर परता गांव के किसान चिंतित हैं. किसान पृथ्वीनाथ पांडे ने बताया कि मुरही नाला से लगभग 400 एकड़ भूमि सिंचित होती थी, लेकिन बांध टूटने से सिंचाई पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है.
किसान सत्यनारायण विश्वकर्मा ने बताया कि मुरही नाला के बांध की मरम्मत को लेकर किसानों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मिलकर उन्हें आवेदन दिया है, लेकिन आज तक किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के वजह से पहले ही किसान टूट चुके हैं, अब सिंचाई के अभाव में धान की फसल नहीं हो पाएगी, जिससे किसान उनके परिवार और पशुओं के सामने भूखों मरने की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.
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वहीं पूर्व मुखिया गुप्तेश्वर पांडे ने बताया कि परता गांव के सभी सिंचाई के स्रोत नाकाम हो गए हैं. उन्होंने कहा कि मुरही नाला और तीन आहार से ही किसानों की भूमि सिंचित होती थी. उन्होंने कहा कि परता लघु नहर का निर्माण 30 साल में भी पूरा नहीं हो सका है, जबकि हर 5 साल के बाद इस लघु नहर पर राशि खर्च की जाती है. अब तक एक करोड़ 30 लाख रुपए खर्च होने के बावजूद परता के किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच सका है. किसानों को इस साल सिंचाई के अभाव में भगवान भरोसे ही रहना पड़ेगा.