पलामूः जिला में मक्का या मकई (कॉर्न) की खेती से किसानों की तकदीर और इलाके की तस्वीर बदल रही है. मक्के की खेती कर किसान मालामाल हो रहे हैं और अन्य लोगों के लिए खेती किसानी में उम्मीद की एक नई किरण जगा रहे हैं.
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जिला में मक्के की खेती उस इलाके में हो रही है, जो पिछले एक दशक से अकाल सुखाड़ के साए में है. आज मक्के की फसल से निकला चारा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और बिहार के इलाके में भेजी जा रही है. पलामू का इलाका भीषण गर्मी और सुखाड़ के लिए जाना जाता है. इसी भीषण गर्मी और सुखाड़ के बीच पलामू के सतबरवा के इलाके में बड़े पैमाने पर मक्के की फसल लहलहा रही है. सतबरवा के इलाके के 400 से भी अधिक किसान मक्के का उत्पादन कर रहे हैं. इसके जरिए एक एक किसान मक्के की फसल से लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं. 2017-18 सतबरवा के इलाके में मक्का की खेती की शुरुआत हुई थी, धीरे धीरे मक्के का उत्पादन पूरे इलाके में हो रही है.
मक्का और इसके चारे का कई राज्यों में मांगः मक्का और मक्के से बना चारा कई राज्यों में भेजा जा रहा है. किसान मक्का के अनाज (बाली) को तोड़ पर बाजार में बेचते हैं जबकि पौधों को चारा के रूप में इस्तेमाल करते हैं. प्रगतिशील किसान सुरेश कुमार ने बताया कि मक्के की फसल लगाने के साथ ही बाहर के व्यापारी पहुंचते हैं और एडवांस देते है. अधिकतर व्यापारी राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के हैं.