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लॉकडाउन ने तोड़ी रोल मॉडल रजडेरवा गांव के किसानों की कमर, सब्जी की फसलों को लाखों का हो रहा नुकसान

पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है रजडेरवा गांव. ये गांव सब्जी की खेती के लिए प्रसिद्ध है. गांव की 90 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है.

Farmers facing loss up to millions in rajderwa village
लॉकडाउन ने तोड़ी रजडेरवा गांव के किसानों की कमर

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Published : Apr 20, 2020, 9:58 PM IST

पलामू: लॉकडाउन ने रजडेरवा को प्रभावित किया है. सब्जी की खेती करने वाले एक एक किसान को 50 हजार से एक लाख तक के रुपये का नुकसान हुआ है. रजडेरवा में मुख्यतौर पर करेला, नेनुआ, कद्दू, खीरा, ककड़ी, टमाटर आदि का उत्पादन किया है. रजडेरवा की सब्जी पलामू और लातेहार के इलाकों में जाती है, लेकिन लॉकडाउन में सब्जी बाहर नहीं बेची जा रही है. सब्जी की फसल खेत में ही बर्बाद हो रही है.

इस बारे में किसान मानिक चंद साव बताते हैं कि रजडेरवा के एक-एक किसान को 50 हजार से एक लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि पहले सुखाड़ बाद में ओलावृष्टि से नुकसान हुआ था. इस बार फसल अच्छी हुई थी, उम्मीद थी की नुकसान की भरपाई हो जाएगी, लेकिन लॉकडाउन से गांव के किसानों के सपनों पर पानी फिर गया.

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लॉकडाउन से सीधे तौर पर गांव के 60 परिवारों को नुकसान पंहुचा है. वहीं, किसान हरेंद्र बताते हैं कि उनकी करीब चार से पांच लाख रुपये की करेला की फसल तैयार है. लेकिन वह बेच नहीं पा रहे हैं, रजडेरवा से आम तौर पर अप्रैल के महीने में प्रतिदिन 50 क्विंटल के करीब करेला, 50 से 60 क्विंटल के करीब कद्दू बाहर के बाजार में भेजे जाते हैं, लेकिन अब सिर्फ रोड के किनारे ही आने-जानेवाले लोग सब्जी खरीद रहे हैं.

गांव की महिला किसान पूजा देवी बताती हैं कि अगर लॉकडाउन जल्दी खुल जाए तो काफी हद तक नुकसान की भरपाई हो जाएगी, लेकिन लॉकडाउन जल्दी नहीं खुलता तो नुकसान का दायरा काफी बढ़ जाएगा. दरअसल, रजडेरवा पलामू प्रमंडल में सब्जी की खेती के लिए रोल मॉडल है. जंहा के किसानों ने सुखाड़ से जूझने वाले पलामू के किसानों को सब्जी की खेती सिखाई है.

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