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International Tiger Day: विश्व में सबसे पहले जहां बाघों की हुई थी गिनती, वहां अब गिनती के बचे हैं बाघ

आज इंटरनेशनल टाइगर डे है. बाघों के संरक्षण के लिए ये दिवस मनाया जाता है. पूरी दुनिया में बाघों को बचाने की कवायद चल रही है. लेकिन बाघों की गिनती कब और कहां से शुरू हुई थी. ये जानना काफी रोचक है, जानकारी ले लिए बता दें कि झारखंड की धरती से सबसे पहले एक अंग्रेज डीएफओ ने बाघों की गणना शुरू की थी. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर, ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए पूरी कहानी.

Evidence of two tigers found in Palamu Tiger Reserve area
पलामू टाइगर रिजर्व

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Published : Jul 29, 2022, 8:47 AM IST

Updated : Jul 29, 2022, 11:59 AM IST

पलामूः जिस जगह से विश्व में सबसे पहले बाघों की गिनती हुई थी, अब वहां गिनती के मात्र दो बाघ ही बचे हैं. एक अंग्रेज डीएफओ ने बाघों के शिकार को देखते हुए सबसे पहले इनकी गिनती करवाई थी. ये जगह कोई और नहीं बल्कि देश का सबसे पुराना बाघ संरक्षण क्षेत्र, झारखंड का पलामू वन क्षेत्र है.

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शायद ही आपको जानकारी हो कि विश्व में सबसे पहले 1932 में पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके से ही बाघों की गिनती शुरू हुई थी. उस दौरान पलामू टाइगर रिजर्व का गठन नहीं हुआ था लेकिन पलामू जिला था. हालांकि जिस इलाके से विश्व में सबसे पहले बाघों की गिनती शुरू हुई थी आज उस इलाके में गिनती के लिए मात्र दो बाघ बचे हैं. 1932 में अंग्रेजी डीएफओ जेडब्ल्यू निकोलसन में बाघों की गिनती करवाई थी. 29 जुलाई को इंटरनेशनल टाइगर डे मनाया जा रहा है, इसके संरक्षण की कवायद चल रही है लेकिन हालात ऐसे हैं कि पूरी दुनिया में कुछ सौ बाघ ही बचे हैं.

पलामू टाइगर रिजर्व जो पलामू, गढ़वा, लातेहार और छत्तीसगढ़ सीमा से सटा हुआ है. आज हम आपको इस रिपोर्ट के माध्यम से बता रहे हैं कि क्यों अविभाजित पलामू, बारेसाढ़ और छिपादोहर के इलाकों से ही बाघों की गिनती शुरू हुई थी. अंग्रेजों के शासनकाल में गवर्नर डीएचआई सैंडर्स ने अपनी किताब में पलामू के इलाके के बारे में जिक्र किया है. सैंडर्स ने अपनी किताब में लिखा है कि 1898 में बाघ मारने के सबूत देने पर सरकार द्वारा 25 रुपये का इनाम दिया जाता था. उस दौरान यह इलाका डालटनगंज रेंज था, जिसकी सीमा तत्कालीन पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा जिला शामिल था. इनाम के लिए लोगों ने बाघों का जमकर शिकार किया.

वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण को लेकर लंबे समय से काम करने वाले प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि उस दौरान जमकर बाघों का शिकार किया जाता था, तत्कालीन राजा भी अपने प्रताप के लिए शिकार किया करते थे. जिसके बाद अंग्रेजी डीएफओ ने बाघों की गिनती करवाने का निर्णय लिया ताकि बाघों के शिकार पर रोक लगाई जा सके. उन्होंने बताया कि इस दौरान बाघों के पदचिन्ह को देखकर गिनती की गई थी.

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पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में कितने बाघ? 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तो बताया गया था कि यहां 50 बाघ हैं. 2005 में जब बाघों की गिनती हुई तो बाघों की संख्या घट कर 38 हो गई. 2007 में जब फिर से गिनती हुई तो बताया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ हैं. 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई तो बताया गया कि सिर्फ आठ बाघ बचे हुए हैं. उसके बाद से कोई भी नया बाघ रिजर्व एरिया में नहीं पाया गया. पीटीआर के बेतला नेशनल पार्क के इलाके में फरवरी 2020 में एक बाघिन मृत अवस्था में मिली थी. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि पीटीआर के इलाके में दो बाघ होने के सबूत मिले हैं, जबकि बाघों की गिनती के दौरान 38 तेंदुआ भी कैमरे में ट्रैप हुए हैं.

बांघों के बेस्ट हैबिटेट में सुरक्षाबलों का हस्तक्षेपः नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने कुछ महीने पहले पीटीआर का दौरा किया था. उस दौरान एनटीसीए ने पाया था कि पीटीआर बाघों के लिए बेस्ट हैबिटेट है. बाघों की इस बेस्ट हैबिटेट में सुरक्षा बल और नक्सलियों का हस्तक्षेप है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस कैंप हैं जबकि पूरा इलाका नक्सल प्रभावित है. कई बार नक्सली और सुरक्षाबल आमने सामने होते हैं और बड़े हथियारों का इस्तेमाल होता है. नक्सलियों के बम से हाथी जैसे कई जीव शिकार हुए है. माओवादियो का सुरक्षित मांद बूढ़ा पहाड़ पीटीआर से सटा हुआ है.


पलामू टाइगर रिजर्व- एक परिचयः पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बेतला नेशनल पार्क है जहां पर्यटक घूमने आते हैं. टाइगर रिजर्व कोयल के इलाके में कोयल और औरंगा नदी है. मंडल डैम भी इसी रिजर्व इलाके में है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में पौधों की 970 प्रजातियां हैं, जिसमें 131 प्रकार के जड़ी बूटी हैं. इसके अलावा यहां पाए जाने वाले स्तनधारी जीवों की 47 जातियां और पक्षियों के 174 प्रकार हैं. स्तनधारी जीवों में में बाघ, हाथी, तेंदुआ, सांभर, हिरण, लंगूर प्रमुख हैं. पलामू टाइगर रिजर्व में शुष्क मिश्रित वन है. तीन प्रकार के वन हैं, जिनमें शुष्क साल, नम साल, पठारी इलाकों का साल के अवाला नमी लिए हुए मिश्रित वन भी इस इलाके में मौजूद हैं.

जानिए क्यों मनाते हैं विश्व बाघ दिवसः साल 2010 में रूस के पीटर्सबर्ग में इंटरनेशनल कांफ्रेंस में प्रत्येक वर्ष की 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाने का फैसला लिया गया. इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बाघों की आबादी वाले 13 देशों ने हिस्सा लिया. सभी से 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य दिया है. बाघ संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने, बाघों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण को बढ़ावा देने और बाघ संरक्षण के मुद्दों का समर्थन करने के लिए इंटरनेशनल टाइगर डे (जिसे ग्लोबल टाइगर डे के रूप में भी जाना जाता है) हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है. उनका अस्तित्व हमारे हाथों में है इस नारे के साथ वार्षिक दिवस मनाया जाता है. पिछली शताब्दी में सभी जंगली बाघों के 97% निवास स्थान के नुकसान, शिकार और अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन सहित कई कारकों के कारण बाघों की संख्या निरंतर कम हो रही है.

Last Updated : Jul 29, 2022, 11:59 AM IST

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