पलामूःनक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा करने सीआरपीएफ के डीजी एसएल थाओसेन रविवार को बूढ़ापहाड़ पहुंचे. इस मौके पर सीआरपीएफ के टॉप अधिकारी और झारखंड पुलिस के टॉप अधिकारी भी मौजूद थे. इस दौरान सीआरपीएफ के डीजी ने नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा की और इलाके के बारे में जानकारी ली. सीआरपीएफ के डीजी ने नक्सल विरोधी अभियान में शामिल जवानों का हौसला भी बढ़ाया और ग्रामीणों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों के बीच कंबल, फल समेत कई सामग्री का वितरण किया. डीजी ने ग्रामीणों से कहा कि इलाके में सुरक्षित माहौल तैयार हो रहा है, इलाके का अब तेजी से विकास होगा. मौके पर सीआरपीएफ के स्पेशल डीजी वितुल कुमार, सीआरपीएफ आईजी अमित कुमार, डीआईजी विनय नेगी, गढ़वा एसपी अंजनी कुमार झा समेत कई अधिकारी मौजूद थे.
CRPF DG In Boodhapahar: बूढ़ापहाड़ पहुंचे सीआरपीएफ के डीजी, नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा कर जवानों का बढ़ाया हौसला - झारखंड न्यूज
बूढ़ापहाड़ में सीआरपीएफ की टीम और स्थानीय पुलिस तीन माह से नक्सलियों के विरुद्ध ऑपरेशन ऑक्टोपस चला रही है. जिसका जायजा लेने के लिए रविवार को सीआरपीएफ के डीजी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा की और जवानों का बढ़ाया. साथ ही उन्होंने जवानों को कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए.
बूढ़ापहाड़ पर तीन महीने से चलाया जा रहा है ऑक्टोपस अभियानः बूढ़ापहाड़ पर नक्सलियों के खिलाफ पिछले तीन महीने से अभियान ऑक्टोपस चलाया जा रहा है. इस अभियान के दौरान नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है. नक्सली अपने सबसे सुरक्षित ठिकाने को छोड़ कर भागने पर मजबूर हुए हैं. इस अभियान के दौरान सीआरपीएफ की टीम बूढ़ापहाड़ समेत चार इलाकों में कैंप को स्थापित कर ली है. इन कैंपों के माध्यम से लगातार अभियान चलाया जा रहा है. नक्सलियों के खिलाफ अभियान के लिए इलाके में 40 से अधिक सीआरपीएफ और कोबरा की कंपनियों को तैनात किया गया है. बूढ़ा गांव से नक्सली पूरे इलाके में अपनी गतिविधि का संचालन करते थे. इस गांव में सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया है.
2022 के आखिरी महीनों में बूढ़ापहाड़ से खदेड़े गए नक्सलीः करीब 52 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसकी सीमा झारखंड के गढ़वा, पलामू और छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से सटी हुई है. वर्ष 2013-14 से बूढ़ापहाड़ में नक्सलियों ने अपने यूनिफाइड कमांड बनाकर रखा था. इसी इलाके से माओवादी झारखंड, बिहार में अपनी गतिविधि का संचालन करते थे. वर्ष 2016 से बूढ़ापार पर कब्जा के लिए सुरक्षाबल अभियान चला रहे थे, लेकिन उन्हें 2022 के अंतिम महीनों में सफलता मिली है.