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पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से रेलवे लाइन स्थानांतरित करने की मांग, एनसीपी नेता सूर्या सिंह ने रेल मंत्री को लिखा पत्र - पलामू में वन्य जीव दुर्घटना मामले

पलामू टाइगर रिजर्व में कोर एरिया से रेल लाइन हटाए जाने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है. एनसीपी नेता सूर्या सिंह ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर कहा कि रेल लाइन हटाए बगैर विकास संभव नहीं है. यहां से 100 से अधिक ट्रेनों का परिचालन प्रतिदिन होता है, जिससे आए दिन वन्यजीव दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं.

सूर्या सिंह
सूर्या सिंह

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Published : Jun 2, 2021, 11:42 AM IST

पलामू: झारखंड प्रदेश का गौरव एकमात्र टाइगर रिजर्व पलामू के बेतला में है. इसके कोर एरिया से रेल लाइन हटाए बगैर विकास संभव नहीं हो सकता. सेव बेतला, सेव पलामू मुहिम की शुरुआत करने वाले एनसीपी के झारखंड प्रदेश प्रवक्ता सूर्या सिंह ने रेल मंत्री भारत सरकार को पत्र लिखा है.

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उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि पलामू टाइगर रिजर्व देश के पहले 9 टाईगर रिजर्व में से एक है. देश में बाघों की गणना पहली बार ब्रिटिश हुकूमत ने वर्ष 1932 ई में पलामू में ही कराई थी. प्राप्त जानकारी के अनुसार उस समय बाघों की संख्या सैकड़ों में पाई गई थी. कालांतर में बाघों की संख्या में निरंतर ह्रास होता जा रहा है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2004 में बाघों की संख्या 38 थी जो अब नगण्य है. विशेषज्ञों के कथनानुसार बाघों की संख्या में कमी के कई कारण हैं परंतु सबसे बड़ा कारण पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से रेलवे लाइन का गुजरना है.

वर्तमान समय में इस रेलवे ट्रैक से औसतन 100 से अधिक ट्रेनों का परिचालन प्रतिदिन होता है. जिससे आए दिन वन्यजीव दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. वन्यजीवों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस कोर एरिया से गुजरने वाली ट्रेनों की अधिकतम गति सीमा 25 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है.

आए दिन दुर्घटनाएं

फिर भी आए दिन दुर्घटनाएं घटित होती रहती है. वन्य जीव इसका शिकार हो जाते हैं. सूर्या सिंह ने पत्र में कहा है कि झारखंड प्रदेश का गौरव एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान, बेतला नेशनल पार्क है जो पलामू टाईगर रिजर्व के अंतर्गत आता है.

इसे संरक्षित कर संवर्द्धन करने की आवश्यकता है. जिससे पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा तथा स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. साथ-साथ वन्यजीवों को सुरक्षित आश्रयण प्राप्त हो सकेगा. इसके लिए पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से गुजरने वाले रेलवे लाइन को कोर एरिया से बाहर से गुजारने की आवश्यकता है.

सर्वेक्षण का कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं

वहीं बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि रेल विकास निगम रांची द्वारा तीसरी रेलवे लाइन निर्माण का प्रस्ताव पूर्व से पलामू टाईगर रिजर्व के कोर एरिया में पहले से दोहरी लाइन के समानांतर दिया है.

पलामू टाईगर रिजर्व के कोर एरिया से गुजरने वाली रेलवे लाइन को कोर एरिया के बाहर से गुजारने के संदर्भ में 13 जनवरी 2020 को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन की अध्यक्षता में टाइगर रिजर्व व वन अधिकारियों के बीच एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई थी.

बैठक में पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया के बाहर वैकल्पिक मार्ग के सर्वेक्षण के लिए निर्णय लिया गया था परंतु दुर्भाग्य है कि सर्वेक्षण का कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं हो सका है. राजमार्ग 09 पलामू टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता था जिसे पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने कोर एरिया से 14 किलोमीटर दूर में मार्ग हस्तांतरित करने का प्रस्ताव दिया था. जिसे झारखंड के मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है.

खोई हुई पहचान वापस मिले

पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से गुजरने वाली दोहरी रेलवे लाइन व प्रस्तावित तीसरी रेलवे लाइन को कोर एरिया के बाहर से गुजारने के लिए यथाशीघ्र आवश्यक कारवाई करने की आवश्यकता है, ताकि झारखंड के गौरव एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान बेतला नेशनल पार्क के साथ-साथ पलामू टाइगर रिजर्व की खोई हुई पहचान को वापस दिलाई जा सके व वन्यजीवों को दुर्घटना से बचाया जा सके.

सूर्या सिंह ने पत्र की प्रतिलिपि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, महानिदेशक वन एवं विशेष सचिव एमओईएफ एंड सीसी भारत सरकार, सदस्य सचिव एनटीसीए, अध्यक्ष एवं मैनेजिंग डायरेक्टर आरभीएनएल, जनरल मैनेजर, पूर्व मध्य रेलवे को दी है. उन्होंने कहा है कि बेतला के वन व वन्य जीव को बचाने के लिए वह जो भी बन सकेगा करने को तैयार हैं.

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