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रेलवे की थर्ड लाइन बांट देगी वन्य जीवों का घर, इंसानों को झेलना पड़ सकता है गजानन का कोप - हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन

झारखंड में विकास की लोगों को कीमत चुकानी पड़ रही है. इसके चलते झारखंड की वन संपदा को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब एक नए प्रोजेक्ट से 1974 में शुरू होने वाले टाइगर प्रोजेक्ट वाले एक क्षेत्र को गंभीर खतरा पैदा हो गया है. इससे इंसानों और गजानन में संघर्ष का भी खतरा पैदा हो गया है.

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रेलवे की थर्ड लाइन बांट देगी वन्य जीवों का घर

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Published : Jul 19, 2021, 1:43 PM IST

Updated : Jul 20, 2021, 2:35 PM IST

पलामू:झारखंड पूरे देश में वन और खनिज संपदा के लिए मशहूर है, लेकिन खनिज की खूबी ही प्रदेश के लिए खामी बन गई है. इसके कारण झारखंड में बेतहाशा वन संपदा और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. अब झारखंड के गौरव, पलामू टाइगर रिजर्व पर विकास की भेंट चढ़ने का खतरा मंडरा रहा है.

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दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व से ही फ्रेट कॉरिडोर बनाए जाने की योजना तैयार की गई है. यह फ्रेट कॉरिडोर मुगलसराय से गोमो तक तैयार किया जा रहा है, जिसका करीब नौ किलोमीटर का हिस्सा पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से होकर गुजरता है, जिसको लेकर वन्यजीव प्रेमी चिंतित हैं. क्योंकि पलामू टाइगर रिजर्व से फ्रेट कॉरिडोर बनने यानी एक और रेलवे लाइन बिछाए जाने से यहां ट्रेन का आवागमन और बढ़ जाएगा.

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ट्रेन का आवागमन बढ़ने से यह नुकसान

इससे होने वाली आवाज पर्यावरण प्रदूषण बढ़ाएगी, जो वन्यजीवों के लिए खतरनाक है. इसके अलावा इसके बेथला पार्क के डिवाइड होने का खतरा है, जिससे वन्य जीवों के आवागमन में दिक्कत होगी और हादसे का खतरा भी मंडराएगा. इसको लेकर वन्यजीव एक्सपर्ट और सामाजिक कार्यकर्ता वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया और अन्य सरकारी प्लेटफार्म पर आपत्ति दर्ज करा चुके हैं. लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. अब पलामू टाइगर रिजर्व प्रशासन ने इसका रूट डायवर्ट करने का प्रस्ताव दिया है.

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खत्म हो जाएगा पलामू टाइगर रिजर्व और बेतला नेशनल पार्क का जुड़ाव

पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में दशकों से वन्यजीवों के लिए काम करने वाले प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने फ्रेट कॉरिडोर के विरोध में वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया को पत्र लिखा है और इसके निर्माण कार्य पर आपत्ति जताई है. प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत को बताया कि रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर पलामू टाइगर रिजर्व से गुजारे जाने का प्रस्ताव है. इसके तहत यहां तीसरी रेल लाइन बिछाई जा रही है.

रेल लाइन को डायवर्ट करने की मांग

प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने बताया कि इस तीसरी लाइन के कारण पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाला बेतला नेशनल पार्क अलग हो जाएगा. पलामू टाइगर रिजर्व के कोर एरिया से पहले से ही रेलवे की दो लाइन गुजर रही हैं. अब इस तीसरी रेल लाइन के कारण कई वन्य जीव प्रभावित होंगे. डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि वह रेल लाइन के विरोधी नहीं है लेकिन वन्य जीवों को बचाने की जरूरत है. रेल लाइन को डायवर्ट कर भी बनाया जा सकता है.

हाथियों का कॉरिडोर बंद होने और वन्य जीवों में बढ़ेगा संघर्ष का खतरा

प्रोफेसर श्रीवास्तव के मुताबिक पलामू टाइगर रिजर्व का बेतला नेशनल पार्क के बारेसाढ़ का इलाका हाथियों का कॉरिडोर है. इस कॉरिडोर में पहले से ही रेलवे की दो लाइन है, अब रेलवे की तीसरी लाइन हाथियों के कॉरिडोर को बंद कर देगी. हाथी बारेसाढ़ से बेतला नेशनल पार्क की तरफ जाते हैं, या बेतला नेशनल पार्क से बारेसाढ़ की तरफ जाते हैं. फिलहाल रेलवे की मेन लाइन से 100 के करीब यात्री ट्रेन और मालगाड़ी गुजरती हैं. तीसरी लाइन बन जाने यह संख्या काफी बढ़ जाएगी. नतीजतन वन्य जीव दो भागों में बांट जाएंगे. डीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि हाथियों के कॉरिडोर बंद होने के बाद ग्रामीणों के साथ उनका संघर्ष बढ़ जाएगा.


आवाज और स्पीड वन्य जीव को पहुंचाएंगे नुकसान

पर्यावरण कार्यकर्ता कौशिक मलिक बताते हैं कि ट्रेनों की आवाज और स्पीड वन्यजीवों को प्रभावित करती है. यह एक तरफ का प्रदूषण है. उन्होंने बताया कि यह सभी जानते हैं कि पीटीआर (पलामू टाइगर रिजर्व) के कोर एरिया में रेलवे अपनी स्पीड को कम कर देता है. लेकिन कई बार ये खबरें निकलकर सामने आई हैं कि वन्य जीव ट्रेनों का शिकार हुए हैं. रेलवे की थर्ड लाइन वन्यजीवों के लिए संकट को बढ़ा सकती है.

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पीटीआर ने तीसरी रेल लाइन को डायवर्ट करने का दिया है प्रस्ताव

पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के कोर एरिया से होकर गुजरने वाली रेलवे के तीसरी लाइन को डायवर्ट करने के लिए पीटीआर ने प्रस्ताव सरकार को भेजा है. इस संबंध में प्रस्ताव वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया और रेलवे को भी भेजा गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि थर्ड लाइन वन्यजीवों को काफी प्रभावित करने वाली है. इसलिए पलामू टाइगर रिजर्व रेल लाइन को डायवर्ट करने का प्रस्ताव दिया है. प्रस्ताव के तहत रेल लाइन कोर एरिया की जगह बफर एरिया से गुजारा जाय.


80 के दशक में बना पलामू टाइगर रिजर्व

1974 में पूरे देश मे बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ नौ इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे. पलामू टाइगर रिजर्व उन नौ इलाकों में से एक है, जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था. इससे पहले देश में पहली बार 1932 में बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी. 80 के दशक में ही पीटीआर के इलाके से रेल लाइन गुजरी थी. हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन तक पलामू टाइगर रिजर्व का इलाका है, जबकि छिपादोहर से हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन तक पीटीआर का कोर एरिया है.

Last Updated : Jul 20, 2021, 2:35 PM IST

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