पलामू:बेटी बचाव बेटी पढ़ाव का नारा पूरे देश में बुलंद किया जा रहा है. देश 4G से निकल कर 5G के नेटवर्क तक पहुंच गया है लेकिन, देश के कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जो काफी पिछड़ा लगता है. जहां की खबरें समाज को विचलित कर देती है. यह खबरें डराती भी है और सोचने पर मजबूर भी करती है. पलामू नाम सुनते ही मन में नक्सल हिंसा, पलायन, सुखाड़, और भुखमरी की तस्वीरें उभर आती है. इस इलाके की एक और डरावनी तस्वीर है जिस तरफ लोगों का कम ध्यान जाता है, यह तस्वीर है बाल विवाह की (Child marriage statistics in Palamu).
ये भी पढ़ें:खूंटी में बच्चों ने निकाला कैंडल मार्च, बाल विवाह रोकने का लिया संकल्प
पलामू में 100 में से 35 जोड़ों की शादी बाल विवाह के दायरे में है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) के आंकड़ों पर गौर करें तो पलामू में होने वाले 35 प्रतिशत शादियां बाल विवाह के दायरे में है. पलामू के इलाके में होने वाली 35 प्रतिशत शादियों में लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से कम है. पलामू बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रणव कुमार वरेनयम ने बताया कि यह गंभीर मामला है, इसमें हर तबके को आगे बढ़चढ़ कर भाग लेने की जरूरत है.
लड़कियां दिखा रही है बहादुरी, दो वर्षों में 30 से अधिक शादियों को रोका गया: हालांकि, बाल विवाह के खिलाफ पलामू के कई इलाके में लड़कियां बहादुरी भी दिखा रही हैं. लड़कियां चाइल्डलाइन या पुलिस को कॉल कर अपनी शादी की जानकारी दे रही हैं. पिछले दो वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो पलामू के इलाके में 30 से भी अधिक बाल विवाह को प्रशासन और पुलिस ने मिलकर रुकवाया है. कई इलाकों में बाल विवाह रुकवाने के दौरान पुलिस को प्रतिरोध का भी सामना करना पड़ा है. एक सप्ताह पहले चाइल्डलाइन और सीडब्ल्यूसी के माध्यम से पुलिस ने लेस्लीगंज के इलाके में भी एक बाल विवाह को रुकवाया है. पलामू की रहने वाली पुष्पा ने बताया कि कम उम्र में लड़कियों को परिवार की जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है, नतीजा यह होता है कि कई बार लड़कियां आत्महत्या तक कर लेती हैं. पुष्पा ने बताया कि शादी को लेकर एक सामाजिक दबाव भी होता है. इस सामाजिक दबाव में भी कई इलाकों में शादियां होती है.
चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान, स्कूल कालेजों तक जा रही है टीम: पलामू में फिलहाल बाल कानूनों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में चाइल्डलाइन, सीडब्ल्यूसी, पुलिस और सामाजिक संगठन शामिल हैं. इस अभियान के माध्यम से लोगों को बाल विवाह और चाइल्ड ट्रैफिकिंग को लेकर जागरूक किया जा रहा है. अभियान में शामिल विनोद कुमार ने बताया कि अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. चाइल्ड लाइन ने एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है. टोल फ्री नंबर 1098 पर कोई भी लड़की कॉल कर पूरे मामले की जानकारी दे सकती है. मामले में चाइल्डलाइन प्रशासनिक टीम के माध्यम से कार्रवाई करेगी.
कम उम्र में शादी है जानलेवा, डॉक्टरों की अपील नहीं करें बाल विवाह:पलामू में प्रतिवर्ष डिलीवरी के दौरान 30 के करीब महिलाओं की मौत होती है. इनमें से अधिकतर मौतें कम उम्र की महिलाओं की होती है. डॉक्टर सुमित ने बताया कि कम उम्र में शादी करना लड़कियों के लिए जानलेवा है. 18 से कम उम्र में मां बनने पर जच्चा और बच्चा दोनों को परेशानी होती है. ऐसे में जच्चा बच्चा दोनों को पोषण नहीं मिल पाता है.