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डरावने हैं आंकड़े! पलामू में बाल विवाह के दायरे में 35 फीसदी शादियां - Palamu News

पलामू में बाल विवाह के आंकड़े डराने वाले हैं (Child marriage statistics in Palamu). यहां करीब 35 फीसदी शादियां बाल विवाह के दायरे में हैं. हालांकि, पलामू में कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं जो इसका विरोध करती हैं. इनके सहयोग से बीते दो सालों में 30 से अधिक बाल विवाह रोका गया. वहीं, प्रशासन भी बाल विवाह और चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है. डॉक्टरों की मानें तो बाल विवाह लड़कियों के लिए जानलेवा होता है.

Child marriage statistics in Palamu
Child marriage statistics in Palamu

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Published : Nov 15, 2022, 7:35 PM IST

Updated : Nov 15, 2022, 9:23 PM IST

पलामू:बेटी बचाव बेटी पढ़ाव का नारा पूरे देश में बुलंद किया जा रहा है. देश 4G से निकल कर 5G के नेटवर्क तक पहुंच गया है लेकिन, देश के कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जो काफी पिछड़ा लगता है. जहां की खबरें समाज को विचलित कर देती है. यह खबरें डराती भी है और सोचने पर मजबूर भी करती है. पलामू नाम सुनते ही मन में नक्सल हिंसा, पलायन, सुखाड़, और भुखमरी की तस्वीरें उभर आती है. इस इलाके की एक और डरावनी तस्वीर है जिस तरफ लोगों का कम ध्यान जाता है, यह तस्वीर है बाल विवाह की (Child marriage statistics in Palamu).

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पलामू में 100 में से 35 जोड़ों की शादी बाल विवाह के दायरे में है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) के आंकड़ों पर गौर करें तो पलामू में होने वाले 35 प्रतिशत शादियां बाल विवाह के दायरे में है. पलामू के इलाके में होने वाली 35 प्रतिशत शादियों में लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से कम है. पलामू बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रणव कुमार वरेनयम ने बताया कि यह गंभीर मामला है, इसमें हर तबके को आगे बढ़चढ़ कर भाग लेने की जरूरत है.

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लड़कियां दिखा रही है बहादुरी, दो वर्षों में 30 से अधिक शादियों को रोका गया: हालांकि, बाल विवाह के खिलाफ पलामू के कई इलाके में लड़कियां बहादुरी भी दिखा रही हैं. लड़कियां चाइल्डलाइन या पुलिस को कॉल कर अपनी शादी की जानकारी दे रही हैं. पिछले दो वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो पलामू के इलाके में 30 से भी अधिक बाल विवाह को प्रशासन और पुलिस ने मिलकर रुकवाया है. कई इलाकों में बाल विवाह रुकवाने के दौरान पुलिस को प्रतिरोध का भी सामना करना पड़ा है. एक सप्ताह पहले चाइल्डलाइन और सीडब्ल्यूसी के माध्यम से पुलिस ने लेस्लीगंज के इलाके में भी एक बाल विवाह को रुकवाया है. पलामू की रहने वाली पुष्पा ने बताया कि कम उम्र में लड़कियों को परिवार की जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है, नतीजा यह होता है कि कई बार लड़कियां आत्महत्या तक कर लेती हैं. पुष्पा ने बताया कि शादी को लेकर एक सामाजिक दबाव भी होता है. इस सामाजिक दबाव में भी कई इलाकों में शादियां होती है.

चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान, स्कूल कालेजों तक जा रही है टीम: पलामू में फिलहाल बाल कानूनों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान में चाइल्डलाइन, सीडब्ल्यूसी, पुलिस और सामाजिक संगठन शामिल हैं. इस अभियान के माध्यम से लोगों को बाल विवाह और चाइल्ड ट्रैफिकिंग को लेकर जागरूक किया जा रहा है. अभियान में शामिल विनोद कुमार ने बताया कि अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. चाइल्ड लाइन ने एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है. टोल फ्री नंबर 1098 पर कोई भी लड़की कॉल कर पूरे मामले की जानकारी दे सकती है. मामले में चाइल्डलाइन प्रशासनिक टीम के माध्यम से कार्रवाई करेगी.

कम उम्र में शादी है जानलेवा, डॉक्टरों की अपील नहीं करें बाल विवाह:पलामू में प्रतिवर्ष डिलीवरी के दौरान 30 के करीब महिलाओं की मौत होती है. इनमें से अधिकतर मौतें कम उम्र की महिलाओं की होती है. डॉक्टर सुमित ने बताया कि कम उम्र में शादी करना लड़कियों के लिए जानलेवा है. 18 से कम उम्र में मां बनने पर जच्चा और बच्चा दोनों को परेशानी होती है. ऐसे में जच्चा बच्चा दोनों को पोषण नहीं मिल पाता है.

Last Updated : Nov 15, 2022, 9:23 PM IST

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