पलामूःप्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद आज झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है. आए दिन जेजेएमपी से जुड़ी हुई हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं, चाहे वह जेजेएमपी के कमांडरों की आपसी लड़ाई हो या अन्य हिंसक घटना. जेजेएमपी का सबसे अधिक प्रभाव लातेहार और पलामू के सीमावर्ती क्षेत्र में है. प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद का गठन 2008-09 में हुआ है. इसके गठन के पीछे एक लंबी कहानी है. उस दौरान माओवादियों का जोनल कमांडर संजय यादव और पप्पू लोहरा संगठन को छोड़ कर भाग गए थे और झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) का गठन किया था. उस दौरान संगठन के पास 120 से 140 कैडर मौजूद थे. वर्ष 2009 में नया संगठन बनने के बाद जेजेएमपी का प्रभाव लातेहार, पलामू, छतरा, गढ़वा, गुमला, लोहरदगा के इलाकों में हो गया था.
Naxalite In Palamu: जेजेएमपी नक्सली संगठन पर अंकुश लगाना पलामू पुलिस के लिए चुनौती, विशेष रणनीति के तहत पुलिस चला रही नक्सल विरोधी अभियान - मुठभेड़ में दो दर्जन सभी अधिक नक्सली मारे गए
जेजेएमपी नक्सली संगठन पर अंकुश लगाना पलामू पुलिस के लिए चुनौती है. हालांकि पुलिस विशेष रणनीति के तहत नक्सल विरोधी अभियान चला रही है. पुलिस को सूचना मिली है कि जेजेएमपी नक्सली संगठन के पास कई अत्याधुनिक हथियार हैं.
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Published : Sep 20, 2023, 7:27 PM IST
संगठन के पास कई आधुनिक हथियार, मारे गए है 40 से अधिक कमांडरः झारखंड जनमुक्ति परिषद के गठन के बाद से ही कमांडरों की आपसी लड़ाई शुरू हो गई थी. जेजेएमपी को लेवी के रूप प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए मिलते हैं. इन्हीं रुपए की लड़ाई में जेजेएमपी को खड़ा करने वाला टॉप कमांडर संजय यादव, चंचल, विपिन, श्याम सुंदर भुइयां, गणेश लोहरा समेत 40 से अधिक कैडर मारे गए हैं. कुछ दिनों पहले जेजेएमपी को छोड़ कर भागने वाले छोटेलाल यादव की हत्या हो गई थी. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार जेजेएमपी के पास फिलहाल 20 से अधिक एके 47, एके 56, मोर्टार समेत कई आधुनिक हथियार मौजूद हैं. फिलहाल जेजेएमपी की कमान 15 लाख के इनामी पप्पू लोहरा के पास है. एक अनुमान के मुताबिक झारखंड जनमुक्ति परिषद को प्रतिवर्ष विभिन्न इलाकों से 25 से 30 करोड़ रुपए की लेवी मिलती है. लेवी की इसी रकम पर जेजेएमपी के टॉप कमांडर कब्जा जमाना चाहते हैं.
घट गया प्रभाव क्षेत्र, माओवादियों को कमजोर करने में भूमिकाः प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद का प्रभाव पलामू और लातेहार सीमावर्ती क्षेत्रों तक सिमट कर रह गया है. जेजेएमपी का प्रभाव जिन इलाकों में रहा है उन इलाकों में माओवादी कमजोर होते गए. वर्ष 2009 से 2018 के बीच नक्सली संगठन जेजेएमपी और माओवादियों के बीच 65 से भी अधिक बार मुठभेड़ हुई है. इन मुठभेड़ में दो दर्जन सभी अधिक नक्सली मारे गए हैं. जेजेएमपी के कारण माओवादी पलामू, चतरा और पलामू, गढ़वा सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहद कमजोर हो गए हैं. जेजेएमपी पर कई गंभीर आरोप भी लगे हैं.
झारखंड जनमुक्ति परिषद को लेकर क्या कहती है पुलिसः इस संबंध में पलामू जोन के आईजी राजकुमार लकड़ा ने कहा कि माओवादियों के साथ-साथ अन्य गिरोहों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. जेजेएमपी को भी टारगेट किया गया है. पुलिस लागतार अभियान चला रही है. जेजेएमपी के कई टॉप कमांडर पकड़े भी गए हैं और पकड़े जा रहे हैं. इसके नेटवर्क को ध्वस्त किया जा रहा है.