पलामूः जब कोई अपना ना हो, आसपास किसी का साथ ना हो, सामाजिक तोहमत और अपनों से सताया जाता तो कुछ ऐसा महसूस होता है कि मानो दम खुद-ब-खुद घुट रहा हो, जिस्म में भारी होती सांसें आ-जा रही हों, घड़ी की एक एक सुई मन को अंदर तक भेद रही हो. इसके बाद जब कोई ना रास्ता नजर आए तो ऐसे में भावनाओं के भंवर में इंसानी कदम खुद ही मौत की तरफ चल पड़ते हैं. आत्महत्या के बढ़ते मामलों का इशारा भी कुछ इसी तरफ है कि अनैतिक संबंध, प्रताड़ना और गुस्से में आज महिलाएं खौफनाक कदम उठाने से भी गुरेज नहीं कर रही हैं. पढ़िए, पलामू की आत्महत्या की घटनाओं की केस स्टडी.
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नाजायज रिश्ते, अपनों से मिली प्रताड़ना, सामाजिक जिल्लत और गुस्से में आज महिलाएं खौफनाक कदम उठा रही हैं. इन वजहों से महिलाएं खुद के साथ पूरे परिवार की जान से खिलवाड़ करने से भी गुरेज नहीं कर रही हैं. सामूहिक आत्महत्या के बढ़ते मामले इसी बात की तस्दीक कर रहे हैं. महिलाएं अपने बच्चों के साथ जीवन को समाप्त कर रही हैं. पलामू जैसे इलाके में पिछले एक वर्ष के दौरान 70 से अधिक लोगों ने मौत को गले लगाया है, जिसमें 38 महिलाएं शामिल थीं.
पिछले छह महीने के अंदर तीन महिलाओं ने खौफनाक कदम उठाते हुए अपने बच्चों के साथ आत्महत्या कर ली थी. 29 मार्च को पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में हरिहरगंज की रहने वाली एक महिला ने अपने तीन मासूम बच्चों के साथ ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी. इस घटना के बाद से एक बार फिर सामूहिक आत्महत्या चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इसको लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर महिलाएं ऐसा कदम उठाने को क्यों मजबूर हो रही हैं.
सामूहिक आत्महत्या की बड़ी घटनाएंः 29 मार्च को पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के टाउन थाना क्षेत्र के बीसफूटा के पास एक महिला ने अपने तीन मासूम बच्चों के साथ ट्रेन से कटकर जान दे दी. वो महिला हरिहरगंज थाना क्षेत्र के खड़कपुर की निवासी थी. पूरे मामले में मेदिनीनगर टाउन थाना में पति समेत अन्य परिजनों खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. मृतक मनीता देवी के पिता ने उसके पति पर प्रताड़ित करने और दूसरी महिला के साथ संबंध होने का आरोप लगा है.